
सीतापुर। नैमिषारण्य ऐसी पावन धरा जहां ऋषी मुनियों ने तपस्या की थी लेकिन इस सरजमीं पर बसे थाना की पूरी पुलिस वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के दलदल में धंसी हुई है। गरीबों को पकड़कर उनसे माल लूटा जा रहा है और जेल भी भेजा जा रहा है। इसकी भनक जब किसान नेता उमेश चंद्र पांडेय को लगी तो उन्होंने टवीट कर दिया। जिसमें उन्होंने लुटेरी पुलिस के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। जिसके बाद मानों भूचाल आ गया। किसान नेता पर टवीट को हटाए जाने का दबाब बनाया जाने लगा। चलिए जानते हैं मामला क्या है।
निर्दोष गरीबों को पकड़ कर छोड़ने वाली थाना नैमिषारण्य हाल
घटना संख्या एक-मुख्य थाना प्रभारी दिग्विजय पांडेय अवकाश पर है। उनके स्थान पर रविन्द्र पांडेय प्रभारी है। शुक्रवार की शाम को थाना क्षेत्र के औरंगाबाद निवासी मेराज, एजाज तथा अंसार पुत्रगण मुस्ताक तथा सैफ के यहां छापा मार पुलिस सभी को उठा लाई और 7 बोरा शादी बारात में दगाए जाने वाले गोला भी बरामद किए। इसके बाद जोड़-तोड़ शुरू हुआ और उनसे बीस हजार रूपया लिए गए। जिसमें वादा किया गया कि दो को छोड़ देगे तथा सात बोरा माल की जगह एक बोरा माल दिखाएंगे। बीस हजार रूप्या दिया गया। जिसके तहत सैफ तथा अंसार को छोड दिया गया और टेंट का काम करने वाले मेराज व एजाज को जेल भेज दिया गया। यही नहीं सात बोरा में से एक बोरा दिखाए जाने का वादा तोड़ सभी बोरा दर्शा दिए गए।
घटना संख्या दो-थाना क्षेत्र नैमिषारण्य की ग्राम पनाहनगर निवासी पीडि़त कमलेश ने समाधान दिवस व चैकी बेलहरी को कई बार प्रार्थना पत्र देकर अपनी जमीन गांव के दबंगो से मुक्त कराने हेतु गुहार लगाई तो चैकी प्रभारी व क्षेत्रीय लेखपाल ने पीडि़त से लगभग 17 हजार रुपये घूस के नाम पर ले लिए। पीडि़त कमलेश ने बताया कि उसकी जमीन खतौनी में दर्ज गाटा संख्या 393 रकबा ओ.3040 हेक्टेयर गांव के दबंगो के कब्जे में है जिसके लिये वह कई बार चैकी तहसील में लेखपालों से गुहार लगा चुका है। इस मामले में चैकी प्रभारी ने उससे कहा कि सात हजार रुपए दो तब जमीन कब्जा मुक्त करा देंगे। वही लेखपाल ने भी कब्जा मुक्त कराने के लिए पीडि़त कमलेश से दस हजार रुपये घूस के नाम पर ले लिए। फिर भी जमीन कब्जा मुक्त नही हो पाया। शनिवार को पीडि़त ने पुनः समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है।
इन दो घटनाओं के अलावा कुछ दिन पूर्व दो कसाइयों को दुराचार के मामले में जेल भेजा गया था। बताया जाता है कि इनसे भी पचास हजार से अधिक की घनराशि वसूली गई थी छोड़ने के नाम पर उसके बाद जेल भेजा गया था।