प्राचीन काल के विद्वानों ने सिर्फ धर्म या अध्यात्म का ज्ञान नहीं दिया हैं, बल्कि इन्होने सामान्य जनजीवन से सम्बंधित महत्वपूर्ण बाते भी बताई हैं। इनमें से एक हैं आचार्य चाणक्य, जिन्होने राजनीति के नीतियों से लेकर व्यक्ति को गृहस्थ और सामान्य जीवन जीने का सही मार्ग बताया है। साथ ही उन सभी कर्मों से मनुष्य को चेताया हैं जो कि जीवन में परेशानियां ला सकते हैं.. ताकी व्यक्ति गलतियों से बचकर सुखी जीवन का आनंद ले सके।
वैसे आज के समय ऐसी ज्ञान की बाते भूला दी गई हैं, पर वास्तव में देखा जाए तो आचार्य चाणक्य का ज्ञान (Chanakya niti) आज भी हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है। आज हम आपको उनके द्वारा वर्णित ऐसे ही बहुमुल्य तथ्य को बताने जा रहे हैं।
नीति शास्त्र के चौथे अध्याय में लिखी है महत्वपूर्ण बात
दरअसल, इस आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के चौथे अध्याय में कुछ महत्वपूर्ण बातों की। दरअसल, इस अध्याय में एक श्लोक है जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि व्यक्ति की किन हरकतों या व्यवहार के चलते उन्हें जल्द बुढ़ापा आता है। इसमें महिला और पुरूष दोनो के लिए जरूरी बात बताई गई है। असल में यहां हम बात कर रहे हैं नीति शास्त्र के चौथे अध्याय में वर्णित 17वें श्लोक की जो कि कुछ इस प्रकार है…
अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।
जानिए क्या है नीति शास्त्र के इस श्लोक का आशय
बता दें कि इस श्लोक का आशय है कि मनुष्य का कम चलना, घोड़े का बंधा रहना, स्त्री का प्रणय क्रिया न करना और वस्त्र का अधिक देर तक धूप में रहना उन्हें जल्दी क्षीण करता है। अब अगर विस्तार मे समझाए तो यहां चाणक्य कहते हैं कि अगर आप अधिक नहीं चलते हैं तो ये शारीरिक कमजोरी को न्योता देता है, जिससे आप समय से पहले ही बूढ़े हो सकते हैं।
यही बात घोड़े के लिए भी है कि अगर वो काफी समय तक बंधा रहेगा तो वो भी जल्दी ही अपनी शक्ति खो देता है। वहीं स्त्रियों के लिए चाणक्य नीति (Chanakya niti) कहती है कि जो स्त्री पति के साथ प्रणय संबंध नहीं बनाती है वो भी जल्दी ही बुढ़ापे का शिकार होती है। इसके अलावा कपड़ों को अधिक देर तक धूप में सुखाना भी उनके लिए हानिकारक साबित होता है।