यूक्रेन पर रूस की ओर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले से एक बार फिर हथियारों की होड़ शुरू हो चुकी है। यूक्रेन ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से और अधिक हथियार देने की मांग की है। अमेरिका ने जल्द ही ज्यादा से ज्यादा एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम और जर्मनी ने इसी तरह के हथियारों को देने का वादा किया है। NATO चीफ ने भी यूक्रेन को लगातार मदद देने का वादा दोहराया है।
लेकिन यूक्रेन की मांग अलग तरह की है। कीव को रूसी हथियारों की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि यूक्रेनी मिलिट्री रूसी हथियारों को चलाने में ज्यादा अच्छे से माहिर है। ऐसे में यदि उसे रूस को पीछे ढकेलना है तो उसे ऐसे हथियारों की ज्यादा जरूरत पड़ेगी, लेकिन दुनिया में रूसी हथियारों की सप्लाई करने वाले देशों की काफी कमी है।
ऐसे में अमेरिका आगे आया है। वह दुनियाभर में अपने सहयोगियों से रूसी और सोवियत एरा के हथियारों को जुटाने में लगा है, जिससे यूक्रेन की मदद की जा सके। इसमें अमेरिका को काफी हद तक सफलता भी मिली है। आज हम उन देशों के बारे में बताएंगे जिनसे अमेरिका रूसी हथियारों को जुटाकर यूक्रेन को दे रहा है।
फिनलैंड : AK-47 और गोला-बारूद दे रहा
रूस का पड़ोसी फिनलैंड इसमें अमेरिका की बढ़चढ़कर मदद कर रहा है। फिनलैंड ने यूक्रेन को सोवियत रूस के समय के कई हथियार दिए हैं। इसमें AK-47 असॉल्ट राइफल के साथ गोला-बारूद शामिल हैं। वहीं दक्षिण कोरिया बुलेटप्रुफ जैकेट, हेलमेट, मेडिकल इक्विपमेंट की सप्लाई कर रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री डिप्लोमैटिक कैंपेन चला रहे
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन रूसी हथियारों को जुटाने के लिए लगातार डिप्लोमैटिक कैंपेन चला रहे हैं। इसके तहत हाल ही में उन्होंने कंबोडिया, कांगो, रवांडा, मैक्सिको, कोलंबिया और पेरू का दौरा किया। इस दौरान इन देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया, लेकिन घातक रूसी हथियार देने को तैयार नहीं हुए हैं। अमेरिका लगातार इन्हें हथियार देने के लिए मनाने की कोशिश में लगा है।
साइप्रस से टोर और बक मिसाइल सिस्टम लेने को 35 साल पुराना प्रतिबंध हटाया
साइप्रस अपनी आजादी के समय से ही दो पड़ोसियों ग्रीस और तुर्की की दुश्मनी का शिकार बना हुआ है। ये दोनों देश ग्रीस और तुर्की NATO मेंबर भी हैं। साइप्रस के हिस्से की सरकार को ग्रीस का समर्थन है। साथ ही साइप्रस के दूसरे हिस्से पर तुर्की ने कब्जा कर रखा है।
70 के दशक में मुश्किलों से घिरे साइप्रस ने हथियारों के लिए सोवियत यूनियन और रूस का रुख किया। इसके बाद अमेरिका ने साइप्रस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। देखा जाए तो आज के समय में साइप्रस के पास कम से कम 10 टोर और बक मिसाइल सिस्टम है जो रूसी लड़ाकू विमानों, ड्रोन और क्रूज मिसाइल को मार गिरा सकता है। ये हथियार यूक्रेन के बड़े काम आ सकते हैं। इन हथियारों के दम पर यूक्रेन युद्ध में रूस को पीछे ढकेल सकता है।
अमेरिकी विदेश मंत्री डिप्लोमैटिक कैंपेन चला रहे
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन रूसी हथियारों को जुटाने के लिए लगातार डिप्लोमैटिक कैंपेन चला रहे हैं। इसके तहत हाल ही में उन्होंने कंबोडिया, कांगो, रवांडा, मैक्सिको, कोलंबिया और पेरू का दौरा किया। इस दौरान इन देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया, लेकिन घातक रूसी हथियार देने को तैयार नहीं हुए हैं। अमेरिका लगातार इन्हें हथियार देने के लिए मनाने की कोशिश में लगा है।
साइप्रस से टोर और बक मिसाइल सिस्टम लेने को 35 साल पुराना प्रतिबंध हटाया
साइप्रस अपनी आजादी के समय से ही दो पड़ोसियों ग्रीस और तुर्की की दुश्मनी का शिकार बना हुआ है। ये दोनों देश ग्रीस और तुर्की NATO मेंबर भी हैं। साइप्रस के हिस्से की सरकार को ग्रीस का समर्थन है। साथ ही साइप्रस के दूसरे हिस्से पर तुर्की ने कब्जा कर रखा है।
70 के दशक में मुश्किलों से घिरे साइप्रस ने हथियारों के लिए सोवियत यूनियन और रूस का रुख किया। इसके बाद अमेरिका ने साइप्रस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। देखा जाए तो आज के समय में साइप्रस के पास कम से कम 10 टोर और बक मिसाइल सिस्टम है जो रूसी लड़ाकू विमानों, ड्रोन और क्रूज मिसाइल को मार गिरा सकता है। ये हथियार यूक्रेन के बड़े काम आ सकते हैं। इन हथियारों के दम पर यूक्रेन युद्ध में रूस को पीछे ढकेल सकता है।
ऐसे में अमेरिका अब साइप्रस से इन रूसी हथियारों को यूक्रेन को दिलाने में लगा है, लेकिन साइप्रस ने यूक्रेन को हथियार देने की बात पर एक शर्त रख दी है। साइप्रस सरकार का कहना है कि उसे नया और बेहतर रिप्लेसमेंट चाहिए, जो तुर्की के हथियारों की काट हो। इस रुकावट को दूर करने के लिए ही अमेरिका पिछले 1 अक्टूबर को साइप्रस पर लगे हथियारों के प्रतिबंध को हटा लिया है। यानी अब वह साइप्रस को अपने हथियार बेच सकेगा।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि रूस से साइप्रस को दूर करने में कई साल लगे है। ऐसे में साइप्रस अब यूक्रेन के लिए हाथियारों की सप्लाई करने वाला सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। साइप्रस सरकार के प्रवक्ता ने मारिओस पेलेकानोस ने भी कहा है कि यदि हमें इन हथियारों को रिप्लेसमेंट मिलता है तो हम यूक्रेन को इन हथियारों को दे सकते हैं।
अमेरिकी के पूर्व ऑर्मी ऑफिसर और मिलिट्री एक्सपर्ट ब्रैडली बोमन कहते हैं कि साइप्रस के पास काफी संख्या में रूसी रॉकेट लॉन्चर, सरफेस टु एयर मिसाइल, हेलिकॉप्टर्स, टैंक और बख्तरबंद गाड़िया हैं। इन हथियारों के दम पर यूक्रेन अपने हारे हुए इलाकों को फिर से हासिल कर सकता है। साथ ही पुतिन को इस युद्ध में मात भी दे सकता है।
अमेरिका, ब्रिटेन और EU के बाद सबसे ज्यादा सैन्य मदद पोलैंड कर रहा
पूर्वी यूरोपीय देश जो कभी सोवियत यूनियन का हिस्सा थे वे भी यूक्रेन की फरवरी से ही मदद कर रहे हैं। इनमें चेक रिपब्लिक, एस्टोनिया, लातविया, स्लोवाकिया और पोलैंड जैसे देश हैं जो अब NATO के मेंबर हैं। जर्मन कील इंस्टीट्यूट के डेटाबेस के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन यानी EU के बाद यूक्रेन को सैन्य सहायता देने वाला पोलैंड चौथा देश है।
ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक में इस सप्ताह सहित, पुर्जों, गोला-बारूद और अन्य उपकरणों को साझा करने और रक्षा निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने के लिए बातचीत जारी है। लेकिन हथियारों के अनुबंध को पूरा होने में महीनों लग सकते हैं, अगर साल नहीं तो।
NATO ने हथियारों की सप्लाई बढ़ाने के लिए हाईलेवल मीटिंग की
यूक्रेन को और ज्यादा मात्रा में हथियार सप्लाई के लिए ब्रसेल्स में NATO के हेडक्वार्टर में इस हफ्ते एक हाईलेवल की मीटिंग हुई थी। इसमें सभी मेंबर्स यूक्रेन को जल्द से जल्द अधिक हथियार, गोला-बारूद और डिफेंस इक्विपमेंट देने और इनका प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दिया गया। हालांकि, इन हथियारों की डील होने में साल नहीं तो महीने लग ही जाएंगे।
NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को कहा कि हमने मेंबर्स देशों के रक्षा मंत्रियों से हम यूक्रेन को हथियारों की अलग रेंज देने के लिए कहेंगे। इसमें न केवल एयर डिफेंस सिस्टम हो, बल्कि तोपखाने, बख्तरबंद टैंक और गोला-बारूद भी हों। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को लगभग हर चीज की जरूरत है और सहयोगी ज्यादा से ज्यादा हथियार देकर इसे पूरा कर रहे हैं।
23 गैर NATO देशों के पास 6,300 से ज्यादा रूसी हथियार
वाशिंगटन थिंक-टैंक फाउंडेशन ऑफ डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज ने जुलाई में यूक्रेन को ज्यादा से ज्यादा रूसी हथियार देने का एक ब्लू प्रिंट तैयार किया था। थिंक टैंक ने 23 ऐसे गैर NATO देशों की पहचान की थी जिनके पास सोवियत यूनियन और रूस के समय के 6,300 से ज्यादा हथियार हैं जो यूक्रेन के काम आ सकते हैं। इन देशों ने इस युद्ध के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को जिम्मेदार ठहराते हुए इसकी आलोचना भी की थी। हालांकि, इन संभावित देशों में साइप्रस शामिल नहीं है।
रूस भी उत्तर कोरिया से गोले-बारूद और ईरान से ड्रोन खरीद रहा
यूक्रेन युद्ध में रूस के हथियारों का जखीरा खाली हो गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अब उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की शरण में पहुंचे हैं। रूस उत्तर कोरिया से लाखों रॉकेट और तोप के गोले खरीद रहा है। इसके साथ ही रूस ने अगस्त में ईरान से लड़ाकू ड्रोन भी खरीदे थे।
दरअसल उत्तर कोरिया जो गोला बारूद बेचना चाहता है वो सोवियत जमाने के हथियारों की नकल से बनाए गए हैं और ये रूसी लॉन्चरों में फिट हो सकते हैं। दक्षिण कोरिया में कोरियन डिफेंस नेटवर्क से जुड़े एक्सपर्ट ली इलवू का कहना है कि बीते 70 सालों से सबसे ज्यादा किलेबंदी वाली सीमा से उत्तर और दक्षिण में बंटे कोरिया में दोनों तोप के लाखों गोले तैयार रखते हैं। उत्तर कोरिया इन पुराने गोला बारूद को बेच कर उनकी जगह नया गोला बारूद लाना चाहेगा जो मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर और उन्नत मिसाइलों के लिये ज्यादा उपयोगी होंगे।
रूस ने पिछले हफ्ते ईरान से खरीदे शहीद-129 सुसाइड ड्रोन से पहली बार यूक्रेन पर हमला भी किया था। शहीद-129 ड्रोन की तुलना इजराइल के हेमीज 450 UAV और अमेरिका के MQ-1 प्रिडेटर से की जाती है। शहीद-129 जासूसी और युद्धक दोनों तरह के अभियानों को अंजाम दे सकता है। यह 24 घंटे तक हवा में रह सकता है। आकार, बनावट और उद्देश्य के मामले में यह ईरान की जखीरे का सबसे कामयाब ड्रोन माना जाता है।