बिहार: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व चैती छठ समाप्त

पटना.  बिहार में आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हीं सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ समाप्त हो गया । राजधानी पटना में आज गंगा नदी के अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में हजारों महिला और पुरूष व्रतधारियों ने उगते हुए सूर्य को नदियों और तालाबों में खड़ा होकर अर्घ्य अर्पित किया। सूर्योपासना के बाद कुछ ब्रतियों ने नदी के तट पर ही जबकि कई घर जाकर पूजा अर्चना करने बाद पारण किया । दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त हुआ और उसके बाद हीं व्रतधारियों ने अन्न ग्रहण किया । चार दिवसीय इस महापर्व के तीसरे दिन कल व्रतधारियों ने नदियों और तालाबों में अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य अर्पित किया था ।

सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 'चैती छठ' हुआ संपन्न, लोग पारंपरिक गीत गाते हुए घरों को निकले

उल्लेखनीय है कि महापर्व छठ साल में दो बार यानी कार्तिक और चैत्र माह में होता है, जिसमें लोग भगवान भास्कर की पूजा करते हैं. चैत्र छठ कम ही लोग मनाते हैं. कार्तिक माह में इस महापर्व को मनाने वालों की संख्या ज्यादा रहती है।

छठ पूजा का विशेष महत्व
सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। रामायण और महाभारत में इस पर्व को लेकर कई कहानियां हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ साथ देश में छठ को लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं

पारंपरिक गीतों से माहौल भक्तिमय 
इस दौरान छठ के पारंपरिक गीतों से पूरा माहौल भक्तिरस में सराबोर होता रहा… पटना के घाट पर हमहूं अरधिया देबई हे छठी मइया… बाबा कांचे-कांचे बंसवा कटाई दीह फरा फराई दीह… पटना के घटवा पर बाजे बजनमा…।  सूर्य को लाखों श्रद्धालुओं ने सायंकालीन अर्घ्य देकर सौभाग्य, समृद्धि और लोकमंगल की कामना की। व्रतियों ने भगवान भास्कर से अपने और पूरे परिवार के आरोग्य व संतान की रक्षा के लिए भी प्रार्थना की। पूरा वातावरण जय छठी मैया… जय सूर्य देवता… भास्कराय नम:… आदित्या नम:… हर हर गंगे… के मंत्रोच्चार और जयघोष से गुंजायमान हो गया। सायंकालीन अर्घ्य के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग रहने से व्रतियों का उत्साह चरम पर दिखा।

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