कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए 24 साल बाद आज वोटिंग हो रही है। इस पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच सीधा मुकाबला है। देशभर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) ऑफिस में 9 हजार डेलिगेट्स (वोटर) वोटिंग कर रहे हैं।
वोटिंग से पहले शशि थरूर के लिए चुनाव के नियमों में बदलाव किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि थरूर को राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में पोलिंग एजेंट्स नहीं मिले। माना जा रहा है कि इन राज्यों में थरूर को वोट मिलना भी मुश्किल है। इसी के बाद पार्टी ने किसी कार्यकर्ता को पोलिंग एजेंट बनाने की हरी झंडी दे दी है। कांग्रेस संविधान के मुताबिक वोट डालने वाले डेलिगेट्स ही पोलिंग एजेंट होते हैं।
चुनाव का अपडेट्स…
कर्नाटक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल डेलिगेट्स के लिए कंटेनर में स्पेशल बूथ बनाया गया है। यहां सभी भारत यात्री वोट डालेंगे।
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी समेत 75 डेलिगेट्स कांग्रेस मुख्यालय जाकर वोटिंग कर सकती हैं।
सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू होगी। डेलिगेट्स शाम 4 बजे तक वोट डाल सकेंगे। डेलिगेट्स PCC ऑफिस में जाकर मतपत्र पर अपनी पसंद के प्रत्याशी के आगे सही का निशान लगाएंगे और उसे फोल्ड करके मतपेटी में डाल देंगे।
तस्वीरों में देखिए वोटिंग…
खड़गे VS थरूर: 2 बयान…
- शशि थरूर- कांग्रेस की किस्मत का फैसला कार्यकर्ता करेंगे। कांग्रेस में परिवर्तन का दौर शुरू हो गया है। मैंने खड़गे जी से बात की है और उन्हें शुभकामनाएं दी है। परिणाम कुछ भी हो, हम सहयोगी बने रहेंगे।
- मल्लिकार्जुन खड़गे- यह हमारे आंतरिक चुनाव का हिस्सा है। हमने एक-दूसरे से जो कुछ भी कहा वह मैत्रीपूर्ण ही है। हमें मिलकर पार्टी बनानी है। थरूर ने मुझे फोन किया और शुभकामनाएं दीं और मैंने भी उन्हें मुबारकबाद दी है।
36 पोलिंग स्टेशन पर 67 बूथ बनाए गए
कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (CEA) ने बताया कि चुनाव में 36 पोलिंग स्टेशन, 67 बूथ होंगे। सबसे ज्यादा 6 बूथ UP में होंगे। हर 200 डेलिगेट्स के लिए एक बूथ बनाया गया है। भारत जोड़ो यात्रा में शामिल राहुल गांधी समेत 47 डेलिगेट्स कर्नाटक के बेल्लारी में वोट डालेंगे। यहां यात्रा के कैंप पर अलग से बूथ बनाया जाएगा।
मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 24 से 30 सितंबर तक नामांकन दाखिल करने का समय तय हुआ था। शुरुआत में माना जा रहा था कि गांधी परिवार के करीबी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय है, लेकिन मुख्यमंत्री पद न छोड़ने की उनकी मंशा के कारण ये नहीं हो सका। उनके बाद मध्य प्रदेश के पूर्व CM दिग्विजय सिंह का नाम भी खूब चला।
नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर को शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन दाखिल किया। मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन में कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता शामिल हुए थे, इससे यह मैसेज गया कि खड़गे गांधी परिवार के प्रत्याशी हैं।
भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के ज्यादातर नेता राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन राहुल इसके लिए तैयार नहीं हुए। राहुल इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। कन्याकुमारी से शुरू हुई ये यात्रा श्रीनगर तक जाएगी। इन दिनों यह यात्रा कर्नाटक में है।
गहलोत ने खड़गे के लिए तोड़ा प्रोटोकॉल:कांग्रेस की गाइडलाइन के खिलाफ जाकर मांगे अध्यक्ष पद के लिए वोट; थरूर का ऐतराज
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए पार्टी का प्रोटोकॉल तोड़ा है। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की गाइडलाइन के मुताबिक वह किसी भी प्रत्याशी का खुलकर समर्थन नहीं कर सकते हैं, इसके बावजूद गहलोत ने खड़गे के लिए वोट मांगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए पार्टी का प्रोटोकॉल तोड़ा है। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की गाइडलाइन के मुताबिक वह किसी भी प्रत्याशी का खुलकर समर्थन नहीं कर सकते हैं, इसके बावजूद गहलोत ने खड़गे के लिए वोट मांगे।
1947 का अगस्त महीना। मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) का वरवट्टी गांव। तब यहां निजाम की हुकूमत थी। भारत को बांटकर पाकिस्तान बनाया गया, तो इस इलाके में भी हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क गए। वरवट्टी गांव पर निजाम की सेना ने हमला कर दिया। साथ में लुटारी (अमीरों को लूटने वाले) भी थे। उन्होंने पूरे गांव में आग लगा दी। यहीं एक घर में 5 साल के बच्चे ने अपनी मां को जिंदा जलते देखा।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि ये संगठन का चुनाव है, हमारे घर का मामला है। हर कोई किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र है। लोगों ने मेरा समर्थन किया और मैं उम्मीदवार हूं। कांग्रेस जैसा विशाल संगठन चलाने के लिए गांधी परिवार का मार्गदर्शन चाहिए। अगर कोई कहता है कि उन्हें छोड़कर पार्टी को चलाया जा सकता है तो यह असंभव है।
आखिरी बार 1998 में वोटिंग से हुआ चुनाव
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, लेकिन जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने पर गांधी परिवार को कभी कोई चुनौती नहीं मिली।