अमेरिका सहित पूरी दुनिया में इन दिनों सोशल मीडिया दोस्ती का आसान प्लेटफॉर्म बन गया है। यहां लोग आसानी से न केवल दोस्त बना रहे हैं, बल्कि पोस्ट पर लाइक और कमेंट के आधार पर उन्हें तौल भी रहे हैं। वे ऑनलाइन दुनिया के इन मापदंडों से यह तय कर रहे हैं कि किसे दोस्त बनाना है और किससे दूरी रखनी है।
लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा तनाव
इससे देश में 50% किशारों में तनाव बढ़ रहा है। इनमें से 30% लड़के हैं। दरअसल, हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन ने प्रोजेक्ट जीरो नाम से इस संबंध में एक रिसर्च की है। इस शोध के अनुसार किशोरों में दोस्त बनाने की लालसा भी बढ़ गई है। नतीजतन अपने स्कूल में साथ पढ़ने वाले किसी छात्र की पोस्ट पर ज्यादा लाइक और कमेंट आने पर वे तत्काल तनाव में आ जाते हैं।
इतना ही नहीं, कई बार किसी संवेदनशील पोस्ट से किशोरों की भावनाएं भी आहत हो जाती हैं। सोशल मीडिया पर टेक्नोलॉजी की वजह से बच्चे कई सारे अनजान दोस्त भी बना रहे हैं और असल दोस्ती का मतलब और मायने भी भूलते जा रहे हैं।
नहीं बदला दोस्ती का ट्रेंड, पेरेंट्स बच्चों से बात करें
सोशल मीडिया के दोस्तों के कारण बच्चा तनाव में दिखे तो माता-पिता को उनसे बातचीत कर काउंसलिंग करनी चाहिए। ऑनलाइन दुनिया से बाहर निकलने के लिए उन्हें असली दोस्ती के मायने और तरीके समझाने होंगे। तभी बच्चे इस बात को समझ सकेंगे और अच्छे दोस्त बना सकेंगे।