कामर में हुई महर्षि दुर्वासा ऋषि की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा

महर्षि दुर्वासा लौकिक वरदान देने में समर्थः लक्ष्मीनारायण

भास्कर समाचार सेवा

कोसीकलां।गांव कामर में स्थित दुर्वासा ऋषि आश्रम में महर्षि दुर्वासा की मूति प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान गांव में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। तत्पश्चात् मंत्रोच्चारणों के मध्य प्रतिष्ठा की गई। सोमवार को भंडारे प्रसाद में हजारों ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया। मूर्ति को बैंडबाजों के साथ गांव की परिक्रमा कराई। परिक्रमा के बाद मंत्रोच्चारणों के मध्य मूर्ति स्थापना कराई गई।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने कहा महर्षि दुर्वासा कि महान ऋषि हैं। वे अपने क्रोध के लिए जाने जाते हैं। दुर्वासा सतयुग, त्रैता एवं द्वापर तीनों युगों के एक प्रसिद्ध सिद्ध योगी महर्षि हैं। वे महादेव शंकर के अंश से आविर्भूत हुए हैं। कभी-कभी उनमें अकारण ही भयंकर क्रोध भी देखा जाता है। वे सब प्रकार के लौकिक वरदान देने में समर्थ हैं। चौधरी कहा कि संत सत्य का प्रचार नही करते बल्कि सत्य के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से भाईचारा और प्यार बढ़ता है।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम साधु-संतों को प्रसाद ग्रहण कराया गया। इसके बाद दूरदराज से आई सिरदारी ने प्रसाद ग्रहण किया देर शाम तक चले कार्यक्रम में प्रसाद ग्रहण करने के लिए कस्बा के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग पहुंचते रहे। श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम की व्यवस्थाएं संभाली। इस मौके पर महंत बलरामदास महाराज, भगवानदास, नरदेव चौधरी, सुभाष गोयल, राजवीर सिंह, निरंजन सराफ, होती चौधरी, पवन कालडा, राजेंद्र, होती चौधरी, मनोज फौजदार, गंगा लहरी, टीटू भार्गव, रमेश शर्मा, चेतराम प्रधान आदि थे।

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