
सीतापुर। जिले के विकासखंड रामपुर मथुरा में हुए शौचालय व अन्य घोटालों के मामले में मंगलवार को मजिस्ट्रिेटी जांच शुरू हो गई। डीएम के निर्देश पर गठित टीम ने मंगलवार को निलंबित तीन अधिकारियों के बयान दर्ज किए है। बयान दर्ज करने का प्रथम दौर कई घंटे का रहा। इस दौरान निलंबत अधिकारियों ने शपथ पत्र के जरिए कई गंभीर आरोप भी कई अफसरों पर लगाए है। बताते चलें कि ब्लाक रामपुर मथरुा में हुए घोटाले को लेकर पूर्व गठित की जांच पर सेउता विधायक ज्ञान तिवारी ने 58 बिन्दुओं पर सवाल खड़े करते हुए डीएम से पुर्नजांच की मांग की थी। जिस पर डीएम ने एडीएम रामभरत तिवारी की अध्यक्षता में चार अधिकारियों की एक कमेटी का गठन कर दिया था।
रामपुर मथुरा घोटाला की शुरू हुई मजिस्टिेटी जांच
इसी परिपेक्ष्य में आज निलंबित हुए पांच अधिकारियों में से तीन अधिकारियों को बयान के लिए बुलाया गया था। जिसे लेकर आज जिला मुख्यालय पर काफी गर्मागर्मी का माहौल बना रहा।
काफी देर तक चले बयान
निलंबत किए गए अधिकारियों में से तीन अधिकारियों ने आज नई जांच कमेटी के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज कराए है। जिसमें निलंबत अधिकारी मनोज कुमार, रक्षित कुमार तथा संतोष शामिल है। बयानबाजी का प्रथम दौर करीब एक घंटा तक चला है। ठंड के इस महीने में भी बयानबाजी के दौरान निलंबत अधिकारी पसीना-पसीना होते नजर आए।
लगे हैं कई गंभीर आरोप-सूत्र
सूत्र बताते हैं कि दिए गए बयान में निलंबत तीनों अधिकारियों ने कई गंभीर आरोप लगाए है। जिसमें कई खुलासे ऐसे हैं कि पूरा का पूरा महकमा ही हिल उठेगा और भ्रष्टता के नकाब के पीछे छिपे उनके चेहरे भी उजागर हो सकते है। सूत्रों की माने तो तीनों निलंबित अधिकारियों ने जांच के दौरान एक बड़ी धनराशि दी है। हालांकि इसमें कहां तक सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन बताया जाता है कि इस आरोप को निलंबित अधिकारियों ने बयान के दौरान दिए गए शपथ पत्र पर पैसे के लेनदेन की बात कही है। निलंबित अधिकारियों के बयान तथा शपथ पत्र दिए जाने के बाद से दूसरे अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है और उनकी धड़कने तेज है।
निष्पक्ष होनी चाहिए जांच-ज्ञान
विधायक ज्ञान तिवारी जांच शुरू होने से पूर्व डीएम तथा एडीएम से मिले और उनसे मांग की है कि जो भी जांच हो वह पूरी तरह से निष्पक्ष होनी चाहिए। जिससे किसी के साथ अन्याय भी न हो और जो दोषी हैं उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई हो सके।