
सीतापुर। मामला तहसील मिश्रिख का है जहाँ जिलाधिकरी को दिए प्रार्थना पत्र के अनुसार ग्राम सडिला परगना मछरेहटा निवासी बिन्देश्वरी पत्नी शिवशंकर ने बताया कि उसने 7 वर्ष पूर्व एक भूमि का बैनामा कराया था, जिसके बाद उस भूमि का दाखिल खारिज होना था। जिसके लिए उससे तहसीलदार न्यायिक की कोर्ट में प्राइवेट कर्मचारी के रूप में तैनात कर्मचारी रोहित द्वारा पैसे लेकर उसका दाखिल खारिज कराने का वादा किया गया जिसके लिए रोहित द्वारा 15000 रुपये भी वसूले गए।
सात वर्ष पूर्व ली गई धनराशि मगर आज भी नहीं हुआ कार्य
लम्बा समय बीतने के बाद भी जब दाखिल खारिज की कोई कार्यवाही नही हुई तो बिन्देश्वरी द्वारा तहसील में तैनात कर्मचारी से जानकारी मांगी, जिस पर रोहित ने कार्य करने का आश्वासन दिया तथा कार्य के लिए अतिरिक्त पांच हजार रुपये की मांग भी की।
देखते-देखते 7 वर्ष बीत गए तथा क्रय भूमि भी बिन्देश्वरी के कब्जे में है। जिसके बाद बिन्देश्वरी ने तहसील में तैनात तहसीलदार व उपजिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों से इसकी शिकायत की व दाखिल खारिज कराने का अनुरोध किया गया जिस पर उसे आश्वासन के अतिरिक्त कुछ भी नही मिला। जिसके बाद परेशान होकर व तहसील के चक्कर लगाने के बाद बिन्देश्वरी ने जिलाधिकारी अनुज सिंह को प्रार्थना पत्र सौंप कर न्याय की गुहार लगाई है।
गौरतलब है कि तहसील में किस प्रकार प्राइवेट कर्मचारी ग्रामीणों से काम कराने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं क्योंकि बीते वर्षों में इस प्रकार के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं लेकिन फिर भी इस पर कोई ठोस कदम नही उठाया जा सका है और ग्रामीण तहसील के चक्कर काटने को मजबूर हैं।