दैनिक भास्कर न्यूज
बांदा। निकाय चुनावों को लेकर करीब एक पखवारे से अटका उच्च न्यायालय का फैसला आखिरकार आ ही गया। हालांकि अदालत के फैसले ने जहां पिछड़े वर्ग के संभावित दावेदारों के चेहरे लटक गए, वहीं सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। जिले की सबसे महत्वपूर्ण बांदा नगर पालिका सीट में एक बार फिर से सामान्य वर्ग के दावेदार सक्रिय हो गए हैं और अपने समर्थकों के साथ चुनावी बिसात सजाने लगे हैं।
चुनावी तैयारियों में जुटे पिछड़ों को लगा झटका, शुभकामनाओं का दौर तेज
मंगलवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के बगैर निकाय चुनाव कराने का आदेश जारी करते हुए जहां एक ओर सरकार को झटका दे दिया है, वहीं पिछड़ा वर्ग के खाते में गई सीटों के सामान्य वर्ग के दावेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई।
सामान्य वर्ग के दावेदारों ने एक बार फिर पूरे उत्साह के साथ चुनावी गोटें सेट करनी शुरू कर दी है अौर आरक्षण आने के बाद उतर चुकी होर्डिंग्स लगवानी तेज कर दी है। अदालत ने फैसले में सरकार को समय पर चुनाव कराने के आदेश के साथ ही आरक्षण को लेकर जारी सरकार का ड्राफ्ट नोिटफिकेशन रद्द कर दिया है। आरक्षण के एेलान के बाद जिले की बांदा नगर पालिका समेत मटौंध, तिंदवारी और बबेरू नगर पंचायत अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित की गई थी।
शहर में फिर से सजने लगीं सामान्य वर्ग के संभावित दावेदारों की होर्डिंग्स
अब अदालत का फैसला आने के बाद यह चारों सीटें सामान्य वर्ग के खाते में जाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। ऐसे में अदालत का फैसला आने के बाद से सामान्य वर्ग संभावित दावेदारों में खुशी की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है। सियासी दलों के हिसाब से देखें तो सत्ताधारी भाजपा में सभी सीटों के लिए खासी मारामारी देखी जा रही है, वहीं कमोवेश यही स्थिति मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी में भी है।
पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के हिसाब से अभी तक भाजपा में कल्लू सिंह राजपूत, पंकज रैकवार, सत्यप्रकाश सर्राफ, डा.रागिनी शिवहरे, श्याम मोहन धुरिया समेत करीब दो दर्जन दावेदार ताल ठोक रहे थे, वहीं सपा मंे मौजूदा चेयरमैन मोहन साहू, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष पियूष गुप्ता और अनुराधा जड़िया का नाम प्रमुख था।
जबकि सीट अनारक्षित वर्ग के खाते में जाने पर भाजपा से वैश्य बिरादरी का दावा मजबूत होता है और भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष वंदना गुप्ता, पूर्व चेयरमैन राजकुमार राज, विधायक प्रतिनिधि रजत सेठ, रामकिशुन बासू, किशनबाबू गुप्ता, अमित सेठ भोलू, मनोज जैन आदि नाम प्रमुख हैं, वहीं ब्राह्मण वर्ग से सुरेश तिवारी सुल्ली महराज और क्षत्रियों में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नन्ना भी दावेदारों में शामिल हैं। यही स्थिति जिले के पिछड़ा वर्ग के आरक्षित अन्य सीटों पर भी देखी जा सकती है।
योगी सरकार के रुख से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
अदालत का फैसला आने के तुरंत बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ट्वीट एक बार फिर से सामान्य वर्ग के दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फेरता दिख रहा है। योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा है कि सरकार पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराएगी, इसके बाद निकाय चुनाव पूरा किया जाएगा। सरकार के इस रुख से सामान्य वर्ग के संभावित दावेदारों की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं। हालांकि अभी सामान्य वर्ग के लोगों में खुशी का माहौल है, देखना दिलचस्प होगा कि ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले के बाद क्या स्थिति बनती है और कौन सी सीट किसके खाते में जाती है।