
दैनिक भास्कर ब्यूरो
खागा/फतेहपुर । पुरानी कहावत है कि जिसके अन्दर कुछ कर गुजरने का जज्बा होता है उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होता। बुजुर्गों की इस बहुप्रचलित कहावत को बाखूबी चरितार्थ कर दिखाया है कोतवाली प्रभारी अरुण चतुर्वेदी और उनके सहयोगी पुलिस कर्मियों ने। जिन्होंने अपने अथक परिश्रम व सच्ची लगन से कोतवाली क्षेत्र के अपराध के गढ़ लाखीपुर (हरदों, नट डेरा) व पच्चीसापर गाँव जिनको आज भी गोकसी व अपराधियो का गढ़ माना जाता है।
इंस्पेक्टर अरुण की पहल की चारो ओर हो रही सराहना
इन गाँवो में न सिर्फ शिक्षा की अलख जगाई, बल्कि इन गाँव के निरक्षर बच्चों को साक्षर कर उन्हें आत्म निर्भर व उनके भविष्य को उज्ज्वल कर एक अच्छा इंसान बनाने का बीड़ा भी उठाया। इस नेक कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मानवता की। मिसाल बने कोतवाली प्रभारी अरुण चतुर्वेदी ने पहले बाकायदा अपने सहयोगी जिसमें निरीक्षक प्रदीप यादव, उपनिरीक्षक उत्कर्ष मिश्रा, अरविंद सिंह, ऋषि रंजन मिश्रा, महिला कांस्टेबल अनामिका सिंह, सुकन्या, पल्लवी सिंह, संतोषी के साथ कार्य योजना तैयार की। इसके बाद अपनी पूरी टीम के साथ सर्वप्रथम गुरुवार को कोतवाली क्षेत्र के लाखीपुर गाँव के प्राइमरी स्कूल में पहुंच गये। जहां उन्होंने स्कूल के अध्यापकों से विद्यालय के पठन पाठन व छात्र उपस्थित संख्या के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की।
इसके बाद गाँव का रुख कर दिया। जहाँ पहुँचकर उन्होंने गाँव के अभिभावकों को अपने बच्चों को न सिर्फ गाँव के स्कूल में उनका दाखिला करा उन्हें शिक्षित बना उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए प्रेरित किया बल्कि बच्चों को विद्यालय जाने के लिए प्रोत्साहित कर अपनी पुलिस जीप में बिठा स्कूल भिजवाया और स्वयं की मौजूदगी में पहले ही दिन लगभग डेढ़ सैकड़ा बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया। स्कूल जाते समय बच्चों की खुशी देखते बन रही थी जिन्होंने हर रोज स्कूल जाने की बात कही।
उन्होंने बच्चों के अभिभावकों से कहा कि आप लोगों के बच्चे छोटी मोटी चोरियों को अंजाम देकर बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने या फिर भीख मांगने की तरफ जाते हैं। जिसकी मुख्य वजह आप और उनकी अशिक्षा है। आप लोगों के बच्चे पढ़ लिखकर न सिर्फ एक अच्छे नागरिक बनेंगे बल्कि स्वयं का भविष्य उज्ज्वल बनाने के साथ ओहदेदार पदों में पहुंच आप लोगो के साथ साथ गाँव का नाम भी रोशन करेंगे और गाँव की तश्वीर बदलने का कार्य भी करेंगे। कोतवाल श्री चतुर्वेदी ने कहा कि बच्चों के पाठ्य सामग्री व ड्रेस वगैरह की ब्यवस्था की भी चिंता करने की आपको जरूरत नहीं है। सारी ब्यवस्था मैं शासनिक स्तर से कराये जाने का प्रयास करूंगा और मैं स्वयं आप लोगों की हर सम्भव मदद करने का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि आप लोग पुलिस को देखकर दूर भागने का प्रयास करते हैं।
इसकी मुख्य वजह आप लोगो का आपराधिक गतिविधियों में हर समय संलिप्त रहना है। आप लोग अपराध का रास्ता छोड़ नेकी और बदी का कार्य करें। पुलिस आपको अपनी मित्र नजर आएगी। उन्होंने कहा ग्रामीणों से कहा कि आप लोगों की जो समस्याएं हों। मुझसे खुलकर शेयर कर सकते हैं। मेरे घर व आफिस के दरवाजे आपकी विपदा सुन उसके निस्तारण के लिए सदैव खुले रहेंगे। पहले तो मैं स्वयं आपकी समस्याओं के हर सम्भव निस्तारण का प्रयास करूंगा और जो मुझसे सम्भव नहीं होगा उन समस्याओं के बावत अपने व प्रशासनिक बड़े ओहदेदार अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को अवगत करवा निस्तारण कराये जाने का प्रयास करूंगा। इस दौरान उन्होंने बच्चों को टॉफी व बिस्किट का वितरण करने के साथ साथ उनके साथ खड़े होकर कई सेल्फियां भी खिंचवाई।
कोतवाल व उनके हमराही सहयोगी साथियो के इस नेक कार्य की चारों ओर सराहना हो रही थी। बच्चे बूढ़े जवान सभी पुलिस की आलोचना की बजाय पुलिस की सराहना करते दिखे। हालांकि इस नेक कार्य को अंजाम देने के पहले ग्रामीणों को समझा बुझा बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी करने में पुलिस को काफी जद्दोजहद भी करनी पड़ी। पुलिस के गाँव मे पहुंचते ही अधिकांश लोग हमेशा की तरह भयवश गांव के बाहर भागने लगे। जिन्हें पुलिस ने काफी समझा बुझाकर रोका और उन्हें एक मैदान में इकट्ठा कर अपने बच्चों का दाखिला स्कूल में करवा उन्हें साक्षर बनाने के लिए प्रेरित किया।
कोतवाली प्रभारी श्री चतुर्वेदी ने इस नेक कार्य को अंजाम देकर न सिर्फ आवाम की निगाह में पुलिस की धूमिल छवि को मित्र पुलिस के रूप में निखारने का काम किया है। बल्कि अशिक्षा और अपराध के गढ़ में शिक्षा की अलख जगाने का कार्य भी किया है। कोतवाली प्रभारी श्री चतुर्वेदी के नेक कार्य की सराहना करते हुए ग्रामीणों सहित क्षेत्रवासियो ने उन्हें मानवता और नेकी की मिशाल करार दिया है। वहीं गांव व क्षेत्र के बुजुर्गों खासकर महिलाओं ने उन्हें जुग जुग जीने व खूब तरक्की करने के आशीर्वाद से भी अभिसिंचित किया है।