मोहनलालगंज। लखनऊ, वैसे तो मोहनलालगंज पुलिस की नाकामी की कई दास्तां अतीत के पन्नो में दर्ज है। लेकिन देश की रक्षा करने में भूमिका निभाने वाले पूर्व सैन्यकर्मी अशोक यादव की हत्या को याद कर आज भी लोग सहम जाते है। पुलिस की नाकामी के चलते हत्यारे आज भी खुले में घूम रहे है। हत्यारों को पकड़ा तक तो दूर पुलिस हत्या की वजह तक नही जान सकी। हत्या के बाद साल दर साल गुजरते चले जा रहे है। 2022 का भी आज अंतिम दिन है लेकिन लेकिन पुलिस व उसकी ऐजेंसिया खाली हाथ है।
16 सितम्बर 2019 की दोपहर को याद कर आज भी लोग सिरह उठते है। रिटायर्ड सैन्यकर्मी अशोक यादव रायबरेली हाइवे पर एएसएन पब्लिक स्कूल के सामने अपने परिचित से मिलने के लिए सफारी गाड़ी से रुके थे। वह गाड़ी पर सवार ही थे तभी एक बाइक पर आये तीन शूटरों की गोलियों से मोहनलालगंज गूंज उठा। हत्यारों ने अशोक यादव को कई गोलियां मार कर फरार हो गए।
आनन फानन जख्मी अशोक यादव को सीएचसी मोहनलालगंज फिर ट्रामॉ सेंटर ले जाया गया। लेकिन चंद घंटे में ही अशोक ने दम तोड़ दिया। पुलिस को मौके से सात खोखे बरामद हुए। जिसमें पांच खोखे थर्टी पिस्टल के थे। जो बड़े शूटर इस्तेमाल करते है। हत्याकांड की गुथ्थी मोहनलालगंज पुलिस व उसकी अन्य ऐजेंसी के बीच घूमी रही। लेकिन हत्या कांड का खुलासा तो दूर पुलिस हत्या की वजह तक नही जान सकी।
नाकामी की और है दास्तां
अशोक हत्याकांड ही ऐसा नही है जिसकी पर्ते मोहनलालगंज पुलिस नही खोल सकी। अतीत के पन्ने में ऐसे कई मामले दबे रह गए जिसकी पर्ते पुलिस नही खोल सकी। हत्या जैसे अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों की गिरेबांह तक पुलिस नही पहुंच सकी। 30 नवम्बर 2010 को मोहनलालगंज कोतवाली के कनकहा-गढी मार्ग पर हरवंश अवस्थी के अरहर के खेत में एक युवती की हत्या कर उसके शव को फेंक दिया गया। पहचान मिटाने के लिए हत्यारो ने शव को जलाने का भी प्रयास किया। लेकिन पुलिस ने हत्यारों को खोज सकी न मृतका की पहचान कर सकी। पुलिस ने 27 फरवरी 2011 को दस पर्चे काट कर जांच बंद कर दी।
26 नवम्बर 2012 को पुरसेनी गांव में विवाहिता की धारदार हथियार से हत्याकर शव को वन विभाग के नाले में फेंक दिया गया। आशंका व्यक्त की गई कि दुराचार के बाद हत्या कर शव फेंका गया। लेकिन नाकामी में माहिर मोहनलालगंज पुलिस ने हत्या का खुलासा कर सकी न मृतका की पहचान कर सकी। पुलिस ने 19 अप्रैल 2013 को जांच बंद कर दी। दोबारा जांच के आदेश हुए लेकिन पुलिस ने चंद दिनों बाद 2 सितम्बर को फाइनल रिपोर्ट लगाकर जांच बंद कर दी। 26 जून 2015 को कनकहा से जबरौली जाने वाले सम्पर्क मार्ग पर बबूल के जंगलों में युवक की हत्या कर उसका शव फेंक दिया गया। लेकिन मोहनलालगंज पुलिस न तो मृतक की शिनाख्त कर सकी न ही हत्यारों को खेाज पाई। पुलिस की नाकामी के चलते ही हत्यारो ने मोहनलालगंज में वारदात को खुले आम अंजाम देते रहे।
इतने हौसले की एक ही गांव में दो बार बारदात कर दी चुनौती
मोहनलालगंज पुलिस साल दर साल बड़ी वादातों को खोलने में नाकाम रही। जिसका फायदा हत्यारे उठाते रहे। यही नही अपराधियों ने मोहनलालगंज के धनवासांड में दो बार वारदात को अंजाम दिया लेकिन पुलिस हर बार खाली हाथ रही। 16 सितम्बर 2017 को मोहनलालगंज के धनुवासांड गांव में एक युवक का शव बरामद हुआ। पुलिस उसकी पहचान नही कर सकी। उसके बाद हत्यारों ने धनुवासांड के उसी जंगल में 40 वर्षीय की हत्या कर नग्न अवस्था में शव फेंक दिया। आशंका व्यक्त की गई की युवती की हत्या दुराचार के बाद की गई। पुलिस को युवती का शव 27 फरवरी 2019 को बरामद हुआ।
हत्यारों को छोड़ो पुलिस गुमशुदा की भी तलाश नही कर सकी
युवतियों की हत्या जैसे मामलों में खाली हाथ रहने वाली मोहनलालगंज पुलिस लापता की भी खोज नही कर पाई। 5 सितम्बर 2014 को सिसेंउी में रहने वाले ज्वैलर्स शैलेन्द्र सोनी संदिग्ध हालात में गायब हो गया। उसकी बाइक मोहनलालगंज के डेहवा के पास बांक नाले के किनारे लावारिश हालत में खड़ी मिली। परिजन से लेकर ग्रामीण पुलिस की चौखट के चक्कर लगाते रहे लेकिन पुलिस उसे आज तक खोज नही सकी।