हिन्दू धर्म में धतूरा भगवान् शिव को चढ़ाया जाने वाला अति साधारण सा पौधा हैं जिसकी हिन्दू धर्म में बहुत महानता है । ये धार्मिक कारणों से पूजनीय तो है ही, इसका प्रयोग आयुर्वेद में अनेक औषधियाँ बनाने के लिए भी किया जाता हैं । आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। यदि इसे कम मात्र के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो यह शरीर के विभिन्न भागों के अनेक रोगों को ठीक करने में सक्षम होता है।
धतूरे के पत्तों का अर्क कान में डालने से आँख का दुखना बंद हो जाता है। हालांकि धतूरे में जहर होता है और इसका ज्यादा इस्तेमाल आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है लेकिन फिर भी धतूरा काफी गुणकारी है। बता दे की इसकी जड़, पत्तियां यहां तक की फल का इस्तेमाल भी औषधी बनाने में किया जाता है। पैरों में सूजन होने पर धतूरे की पत्तियों को पीसकर लगाने से सूजन काफी कम हो जाती है साथ ही इसके अलावा बुखार और गैस संबंधित कुछ दवाओं में धतूरे का इस्तेमाल कर बनाई गई दवा भी लाभकारी साबित होती है।
अक्सर लोग उम्र से पहले ही गंजेपन का शिकार बन जाते हैं, आपको जानकर हैरानी होगी की इस गुणकारी धतूरे के रस को नियमित रुप से सिर पर लगाने से बाल जल्दी आने शुरु हो जाते हैं। 250 मिली ग्राम सरसों का तेल, 60 मिलीग्राम गंधक और 500 ग्राम धतूरे के पत्तों के रस को धीमी आंच पर पकाएं। पकने के बाद जितना तेल बचे उसमें से दो से तीन बूंदे कान में डालें। ऐसा करने पर कान के दर्द में फायदा होगा। यदि शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन हो तो बस धतूरे के पत्तों को हल्का गुनगुना कर सूजन वाले स्थान पर बाँध दें निश्चित लाभ मिलेगा।
धतूरा को तिल के तेल में पका लें जब केवल तेल बचे तब इसकी मालिश जोड़ों में करें तथा पत्तों को बांध दें, इससे गठिया के कारण होनेवाले जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। धतूरा गठिया रोग में भी लाभकारी होता है। समस्या होने पर धतूरा के पंचांग का रस निकालकर उसको तिल के तेल में पकायें, जब तेल शेष रह जाये तो इस तेल को मालिश करके ऊपर धतूरा के के पत्ते बांध देने से गठिया दूर होता है।