
दैनिक भास्कर समाचार सेवा
टिहरी। एशिया के सबसे बड़े बांध टिहरी बांध की 42 वर्ग किलोमीटर की झील के जलस्तर के बढ़ने घटने से ऊपरी ढालो पर बसे आंशिक डूब क्षेत्र के ग्राम अस्थिर होने लगे हैं। लोगो के घरों में दरारे आ चुकी हैं और ये दरारें बढ़ती ही जा रही हैं।विगत वर्षों में राज्य सरकार ने जब बांध निर्माण कंपनी टीएचडीसी को झील का जलस्तर आरएल 820 मीटर से आरएल 830 मीटर तक भरने की अनुमति दी थी। टीएचडीसी ने तब जलस्तर आरएल 832 मीटर तक भरा, इससे टीएचडीसी और सरकार को खूब धनलाभ हुआ तथा देश को भरपूर बिजली और पानी मिला, किंतु इस झील से प्रभावित आंशिक डूब क्षेत्र के परिवारों का विस्थापन होना अभी बाकी है।
आरएल 835 मीटर तक के ग्रामों को पुनर्वासित करने के लिए पुनर्वास नीति 1998 थी, जो केवल आरएल 835 मीटर तक के लोगों के लिए ही थी, किंतु झील का जलस्तर बढ़ने से आरएल 835 मीटर से ऊपर के लिए कोई नीति नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनडी जयाल बनाम भारत संघ व किशोर उपाध्याय व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य की याचिका पर केंद्र, राज्य और टीएचडीसी को यह आदेश दिया कि आरएल 835 मीटर से ऊपर के प्रभावित ग्रामों के लिए एक नई पुनर्वास नीति बनाई जाए। तब केंद्र, राज्य और टीएचडीसी ने मिलकर नई पुनर्वास नीति सम्पार्श्विक क्षति पूर्ति नीति 2013 बनाई, जिसे 2021 में संशोधित किया गया। इस नई नीति से वे ही ग्राम विस्थापित होंगे, जिन्हें संयुक्त विशेषज्ञ समिति अपनी संस्तुति देगी। समिति को हर छमाही में इन ग्रामों का निरीक्षण करने के भी आदेश दिए गए थे, ताकि हर छमाही में वे अपनी रिपोर्ट दे सकें।
ग्राम पिपोला खास के एक भू भाग (सावित्री सैन नामे तोक) को जेईसी ने यह कहकर संस्तुति दी कि ग्राउंड मूमेंट के कारण यह भूभाग है और इन्हे विस्थापित किया जाए, किंतु जेईसी द्वारा विस्थापन के लिए संस्तुति किए गए इस भू भाग से 20 मीटर की दूरी से ग्राम वासियों के मकान लगे हैं, जिनमें दरारें आ गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं स्थानीय शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि जब गांव के 20 मीटर पर जमीन में हलचल हो रही है और भू भाग अस्थिर है, तो गांव कैसे स्थिर रह सकता है। ग्राम पिपोला खास में पहले हल्की दरारें आईं। फिर ये धीरे-धीरे बड़ी हो गईं। आगे और भी खतरनाक स्थिति हो सकती है। इसलिए समय रहते जेईसी ग्राम पिपोला खास को पूर्ण रूप से विस्थापित के लिए संस्तुति करे और फिर पुनर्वास निदेशालय और टीएचडीसी शीघ्र विस्थापन करे।