देश की पहली पूर्णकालिक महिला फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण फाइनेंशियल ईयर 2019-20 के लिए 5 जुलाई को लोकसभा में बजट पेश करेंगी। चुनावी साल होने की वजह से इस बार फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था । तत्कालीन फाइनेंस मिनस्टर पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट एक फरवरी को सदन में पेश किया था। उल्लेखनीय है कि अंतरिम बजट सिर्फ तीन महीने के लिए होता है जिसके बाद चुनाव जीत कर बनने वाली नई सरकार ही पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए आम बजट पेश करती है। बता दें कि इस बार के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए ने दोबारा पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफलता हासिल किया है।
मोदी सरकार के बजट में रखा जायेगा मिडिल क्लास का खास ख्याल !
बताते चले चुनावी नतीजों के ठीक बाद के इस बजट से हर वर्ग के लोगों को काफी उम्मीदे हैं। खासतौर पर मिडिल क्लास टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद कर रहा है। दरअसल, लोकसभा चुनावों से पहले अंतरिम बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख तक की सालाना कमाई करने वाले नौकरी पेशा को टैक्स फ्री कर दिया था लेकिन स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ था. ऐसे में दोबारा मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
जानकारी के लिए बताते चले पीयूष गोयल ने 5 लाख तक की कमाई को टैक्स फ्री करते हुए कहा था कि यह ट्रेलर हैं, जब पूर्ण बजट जुलाई में पेश होगा तो उसमें मिडिल क्लास का ख्याल रखा जाएगा। जानकारों की मानें तो 5 जुलाई को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ इनकम टैक्स निवेश छूट सीमा को भी बढ़ा सकती है।
निर्मला सीतारमण उद्योग मंडल से बजट के पहले लेंगी सलाह
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न मुद्दों पर विचार लेने के लिए 11 जून को प्रमुख उद्योग मंडलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने पर चर्चा शामिल है। दरअसल में यह आने वाले बजट से पहले परामर्श प्रक्रिया का हिस्सा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
देश की पहली पूर्णाकालिक महिला फाइनेंस मिनिस्टर सीतारमण की ये पहली संयुक्त बातचीत होगी। वह पांच जुलाई को 2019-20 का बजट पेश करेंगी। इस बैठक में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) , भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की),एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) जैसे उद्योग निकायों के प्रतिनिधियों समेत अन्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
बैठक में निर्यात बढ़ाने और विलय के मुद्दे पर विचार-विमर्श
दरअसल अधिकांश उद्योग निकाय पहले से ही अपनी मांगें फाइनेंस मिनिस्टरी को विचार करने के लिए सौंप चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है उनमें मुख्य रूप से देश में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए एफडीआई दिशानिर्देश में बदलाव शामिल है। फाइनेंस मिनिस्टर प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए विलय के मुद्दे पर विचार, घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सेवा श्रेणी का विस्तार और घरेलू उत्पादन एवं निर्यात को बढ़ाने के लिए शुल्क ढांचे में बदलाव पर भी विचार मांग सकती हैं।