
नैमिषारण्य-सीतापुर। इस बार शनिवार को वर्ष की पहली अमावस्या का योग पड़ रहा है। इस दिन माघ महीने की मौनी अमावस्या पर्व भी होगा। माघ महीने में शनिवार को अमावस्या का होना बहुत ही खास माना गया है। ग्रंथों में इस शुभ संयोग को स्नान-दान का महापर्व कहा गया है। इस दिन किए गए पुण्य कर्म से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना शुभ फल मिलता है।
स्कंद, पद्म और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक माघ महीने में आने वाली शनिवासरीय अमावस्या पर नैमिषारण्य तीर्थ अंतर्गत चक्रतीर्थ व गोमती स्नान करने से हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस पर्व पर किए गए दान से कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है साथ ही इस अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितृ पूरे साल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं। इस बार माघ मास की अमावस्या पर खप्पर योग, चतुरग्रही योग, षडाष्टक योग व समसप्तक योग बन रहा है।
तीस वर्ष बाद बन रहे अमावस्या पर समसप्तक संयोग
इस विशेष संयोग पर भगवान शिव, श्री हरिविष्णु तथा पीपल की पूजा से खुशहाली मिलेगी और जीवन के कष्ट भी दूर होंगे। 21 जनवरी दिन शनिवार को 30 साल बाद मौनी शनिवासरीय अमावस्या के मौके पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में मौजूद रहेंगे।
अमावस्या तिथि पर पूर्वा अषाढ़ नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, हर्षण योग, ब्रज योग, चतुर पाद करण योग भी बन रहा है। इसके साथ ही चंद्रमा शनि की राशि मकर में संचरण करेंगे। पंचांग के अनुसार 21 जनवरी को सुबह करीब 6.20 से माघ महीने की मौनी अमावस्या शुरू होगी जो दिन भर रहेगी और रविवार की रात तकरीबन 2.20 तक रहेगी। मौनी अमावस्या तिथि का आरंभ सुबह 6.17 से प्रारंभ होकर 22 जनवरी सुबह 2.22 तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार मौनी शनिवासरीय अमावस्या है।