
दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । जनपद लगभग दो दशकों से 100 नम्बर के फेर में उलझा हुआ है। मामूली गुंडे से माफिया तक के सफर में गैंगस्टर को पुलिस की खासी मदद मिलती रही है। एक समय था कि कोतवाली में कोतवाल कोई भी बने एसी से लेकर उसके ऐशो आराम का सामान भाईजान के दरबार से ही जाता था। कितना भी ईमानदार माना जाने वाला अफसर जनपद में क्यों न आया हो भाई जान की मिठाई से नहीं बच पाया। दो दशक में लगभग दो दर्जन मुकदमे उनमें अधिकतर मामलों में एफआर माफिया के और पुलिस के सम्बन्ध बताने के लिए पर्याप्त हैं। प्रदेश में तीन पार्टियों की सरकार विगत बीस वर्षों में रही लगभग हर सरकार में माफिया पर मुकदमे दर्ज हुए मगर मामला सिफ़र रहा। पहली बार एक भाजपा नेता को पीटने में माफिया को जेल जाना पड़ा।
माफिया की पालतू बनकर काम करती रही है स्थानीय पुलिस
माफिया के जेल जाने में पूर्व सदर विधायक विक्रम सिंह ने प्रमुख भूमिका निभाई। माफिया के जेल जाते ही पूरा गैंग छटपटा उठा। टेरर फंडिंग से लेकर, उमर गैंग को सपोर्ट करने में इस गैंग का अहम रोल रहा। वर्षों तक 100 नम्बर के नाम से कुख्यात गैंग के गुर्गे उमर को धर्मगुरु बताते रहे उसे एअरपोर्ट से रिसीव कर फ़तेहपुर में जगह जगह घुमाते रहे। लखनऊ रोड़ पर स्थित एक स्कूल में कार्यक्रम होते रहे। लेकिन आज तक स्थानीय पुलिस इस गैंग को बेनकाब नहीं कर पाई। कुछ भी खरीद लेने की शक्ति रखने वाला गैंग एक विधायक को खरीद न पाया इसलिए माफिया रूपी इस गैंग के प्रमुख एक्टर को जेल जाना पड़ा।
सत्ता के नेताओं की मदद से आज तक बचता रहा है गैंग
अब इनकी निगाह में सदर विधायकी हराना सबसे आवश्यक हो गया था वजह स्पष्ट थी कि एक माफिया ( गैंग का हीरो ) जेल गया था अगर विक्रम सिंह विधायक बने तो माफिया के गैंग और उसके आका ( डायरेक्टर ) को भी जेल जाना पड़ेगा। तत्काल फंडिंग हुई और सदर विधायक को हराने में पूरे गैंग ने शक्ति झोंक दी। जिसके लिए इस तिकडमी गैंग ने विक्रम सिंह की टीम के कई करीबियों को भी खरीद लिया, उन्हें पसंद के हिसाब से बोटी और बटेर खिलाया। सत्ता के भी नेताओं को सड़कें बनवाने के लिए दी, संगठन के कई नेताओं को जमीन के ब्यवसाय में पार्टनर बनाया। दो जनप्रतिनिधियों व संगठन के प्रमुख नेता को भी माफिया ने अपना पार्टनर बनाया। अंततः तिकडमी गैंग की जीत हुई उन्होंने सदर सीट से विधायक रहे विक्रम सिंह को हरा दिया। इस दौरान देखने वाली बात यह रही कि सत्ता पक्ष के कई नेताओं व जनप्रतिनिधियों की अवैध संपत्तियों में भारी इजाफा हुआ।
सत्ता के कई नेता व जनप्रतिनिधि माफिया के पार्टनर
ख़ास बात यह रही कि सदर विधायक चंद्रप्रकाश लोधी चुनाव जीतने के बाद माफिया के एक कार्यक्रम में शामिल हुए जिसमे कई गैंगस्टर के चेहरे शामिल थे जिसकी फ़ोटो भी सोशल में वायरल हुईं! योगी सरकार में एक विधायक को हराने में सत्ता के नेताओ ने ही पर्दे के पीछे से माफिया की मदद कर पूरी शक्ति झोंक दी। मगर उन्हें क्या पता था कि योगी सरकार में माफियाओ की जगह अंततः जेल में है। हाल ही में माफिया के आका ( गैंग के डायरेक्टर ) को कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। जो काम कोतवाली पुलिस को वर्षों पहले करना चाहिए था वह कानपुर पुलिस कर रही है। जबकि सदर कोतवाली में माफिया के खिलाफ दो दर्जन व उसके डायरेक्टर आका के खिलाफ आधा दर्जन मुकदमे पहले से दर्ज हैं।
एक मुकदमा तो जमीन में फ्रॉड करने का अभी लगभग दो माह पूर्व ही दर्ज हुआ है जिसमे गिरफ्तारी की मजबूत धाराएं हैं मगर आज तक नहीं हुई। सिस्टम में इस गैंग की इतनी मजबूत जड़ें हैं कि जिले के प्रशासन व पुलिस किसी भी विभाग में अगर एक पत्ता हिलता है तो जानकारी गैंग तक पहले ही पहुंच जाती है। बताते तो यह भी हैं कि इस 100 नम्बर गैंग की अगर योगी सरकार गहराई से जांच करवाये तो इनके सम्बन्ध डी गैंग और आतंकियों तक से संभव हैं..! कुछ माह पूर्व सैय्यदवाड़ा से आतंकियों के एक साथी को एटीएस ने गिरफ्तार भी किया गया था मगर उसके बाद भी लोकल पुलिस, एलआईयू ने इस नेटवर्क की कोई ख़ास जांच नहीं की।
अतीक और मुख्तार से कम नहीं हैं इस गैंग की जड़ें
इस 100 नम्बर गैंग में वैसे तो लगभग एक सैकड़ा लोग शामिल हैं मगर इनमें माफिया के करीबी लगभग दो दर्जन से अधिक करोड़पति मेम्बर हैं। आधा दर्जन तो ऐसे हैं जिनके पास करोड़ों की लक्जरी गाड़ियां, अवैध असलहे अरबों की संपत्तियां हैं। इस पूरे गैंग ने सत्ता के नेताओं और कुछ पत्रकारों को अपने अवैध कब्जों के ब्यवसाय में संरक्षण देने के लिए पार्टनर बना रखा है। यही वजह है कि दो दशकों से इस गैंग के मायाजाल को कोई नहीं तोड़ पाया था। यही स्थिति एक समय दशकों तक राज करने वाले मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद की भी रही है मगर योगी सरकार ने अपराधियों को नेस्तनाबूद कर दिया।
फतेहपुर के इस 100 नम्बर गैंग के अपराधों का घड़ा लगभग भर चुका है एक्टर और डायरेक्टर दोनो पर योगी सरकार की निगाह है। मगर जब तक सरकार किसी बड़ी एजेंसी से इनकी अवैध संपत्तियों और इस गैंग से जुड़े नेताओं, अफसरों व इनको फंडिंग करने वाले करीबियों को इनके गैंग में शामिल कर उनकी संपत्ति कुर्क नहीं करेगी तब तक इस 100 नम्बर के फेर को सुलझाना बड़ा मुश्किल है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक इस पूरे गैंग की जानकारी पहुंच चुकी है लेकिन सीएम का अपराध और माफिया मुक्त सपना फ़तेहपुर जैसे जनपद में तभी साकार होगा जब सिस्टम में बैठे उनके गुर्गों, गैंग के करीबी सत्ता के नेताओ और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को पहचान कर उन पर भी कठोर कार्रवाई कर उन्हें भी इस नेक्सस में शामिल किया जाए।