
43 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अफसर की किडनी ट्रांसप्लांट की गईपत्नी ने डोनेट की अपनी किडनी, बहुत जटिल था
भास्कर समाचार सेवा गाजियाबाद वैशाली मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल वैशाली में किडनी के एक पेशंट का सफल इलाज किया गया. 43 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अफसर अंतिम स्टेज की किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. उनकी जान बचाने के लिए ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई. ये अपनी तरह की देश की पहली सर्जरी है.
इस सफल सर्जरी को मैक्स अस्पताल के डॉक्टर अनंत कुमार के नेतृत्व में किया गया. उनकी टीम में डॉक्टर मनीषा दस्सी, डॉक्टर शैलेंद्र गोयल, डॉक्टर विमल दस्सी और डॉक्टर उपवन चौहान थे, जिन्होंने मिलकर ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई है।
डॉ अनंत कुमार ने बताया कि 43 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अफसर अजय मलिक क्रोनिक किडनी रोग के कारण लगभग तीन सालों से हेमोडायलिसिस और दवाओं पर चल रहे थे. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती गई, वह एथेरोस्क्लेरोसिस से पीड़ित हो गए, जिसे आमतौर पर धमनियों में पट्टिका के निर्माण के रूप में कहा जाता है. इससे पेट के ऊपरी और निचले हिस्से में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ गईं. इसके अलावा अपर और लोअर लिंब में वाहिकाएं संकुचित हो गईं. ऐसी स्थिति में तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी।मलिक पत्नी रेखा मलिक ने अपनी किडनी डोनेट करने की ख्वाहिश जाहिर की. इसके लिए उनकी डिटेल्ड जांच पड़ताल की गई, जिसमें पता चला कि उनकी किडनी फैल गई थी और उसका साइज 20,15 मिमी हो गया था इसके चलते ट्रांसप्लांट का ये केस और ज्यादा जटिल हो गया.
संकुचित रक्त वाहिकाओं और लोअर लिंब में खून के कम फ्लो के चलते परंपरागत किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी संभव नहीं थी. केस की कंडीशन को देखते हुए डॉक्टरों की टीम ने बहुत ही रेयर किस्म की ट्रांसप्लांट सर्जरी यानी ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई किडनी ट्रांसप्लांट करने से पहले मरीज की पत्नी का इलाज किया गया. उनकी किडनी से एन्यूरिज्म को पूरी तरह हटाया गया. क्योंकि मरीज की उदर महाधमनी भी रोगग्रस्त थी, इसलिए पुनरोद्धार के लिए प्लीहा धमनी में वृक्क धमनी को एनास्टोमोज करने की प्लानिंग की गई. मरीज की रीनल वेन डोनर की रीनल वेन के साथ जोड़ा गया. यहां डोनर और मरीज के यूरेटर किडनी के करीब थे।
किडनी ट्रांसप्लांट की सामान्य सर्जरी में बड़ा कट लगाकर इंप्लांट किया जाता है. जबकि रोबोटिक व लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की प्रक्रिया में बहुत ही छोटा-सा कट लगाकर किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है और इसमें किसी मसल को काटने की जरूरत नहीं पड़ती है. सर्जरी के दौरान ब्लड लॉस भी बहुत कम होता है, साथ ही मानवीय गलती होने की आशंका भी काफी कम रहती है।














