जमीनों पर कब्ज़ो की शिकायतों के बारे में जल्द हो सकती हैं कार्यवाहीं

भास्कर समाचार सेवा

मुरादनगर। क्षेत्र की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों निजी चल रहे विवादों के ढेर लखनऊ से लेकर इलाहाबाद लगे हुए हैं ।कुछ शिकायतें अरबों खरबों रुपए की सरकारी जमीनों के बंदरबांट की हैं तो उसमें निजी जमीनों पर दबंगों द्वारा कब्जों की शिकायतें भी सरकारी मशीनरी को परेशान किए हुए हैं। सरकार अब ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर उनकी जांच कराने की तैयारियां कर रही है क्योंकि भू संबंधी विवाद बड़े-बड़े अपराधों के कारण बनते हैं। सूत्रों की माने तो शायद शासन स्थानीय निकाय चुनाव से पहले ऐसे मामलों शिकायतों को हल करने की तैयारी में है क्योंकि कुछ मामले प्रशासनिक अफसरों की टेबलो के साथ ही न्यायालय में भी वादों की संख्या बढ़ा रहे हैं और सरकार न्यायालय में जगह घेरने के साथ ही अधिकारियों की सर दर्दी बढ़ाने के साथ स्थानीय कर्मचारियों अधिकारियों के लिए दुधारू गाय साबित हो रहे हैं ।इसलिए स्थानीय स्तर से उन मामलों का निस्तारण करने में कोई पहल नहीं हो रही ।क्योंकि निस्तारित होते ही उन फाइलों से होने वाली कमाई बंद तो होगी ही निचले स्तर के कर्मचारियों पर भी गाज गिरने की संभावना बनी है। सूत्रों का कहना है कि मुरादनगर एनसीआर के महत्वपूर्ण जिला गाजियाबाद का भाग है और यहां की संपत्तियों के भाव भी बहुत ऊंचे हैं इसलिए उच्च स्तर से पूरे एनसीआर क्षेत्र के मामलों को जांच के दायरे में लाकर जल्द कार्यवाही शुरू की जा सकती है। नगर के शहरी क्षेत्र में सरकारी जमीनों पर कब्जों के साथ ही पालिका सीमा में आए नए गांवो से संबंधित शिकायतें भी जांच में शामिल की जा सकती हैं जिससे कि आने वाले समय में ऐसे मामले ग्राम पंचायतों से निकलकर नगर पालिका के लिए सिरदर्द पैदा ना करें। मेरठ दिल्ली हाईवे से लगे गांव तथा प्रस्तावित नई विकास परियोजनाओं के निकट स्थित जमीनों के बारे में सर्वाधिक शिकायतें हैं ।शासन स्तर से उनका निस्तारण न होने के कारण कुछ शिकायतकर्ताओं ने उन्हें न्यायालय में भी पहुंचा कर कार्यवाही की मांग की है लेकिन किसी भी स्तर से उनका हल न होने के कारण फाइलों के ढेर बढ़ते ही जा रहे हैं। कुछ मामले ऐसे हैं जिनमें अरबों खरबों रुपए की सरकारी संपत्ति के बंदरबांट की शिकायतें कि गई हैं और कुछ में 1, दो इंच जमीनों को लेकर मोटी मोटी फाइलें तैयार हो गई है जो स्थान तो घेर ही रही हैं सरकारी अधिकारियों के लिए भी सिर दर्द बनी हुई है। सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राथमिक स्तर पर उन शिकायतों को एकत्र किया जा रहा है जिनकी फाइलें सरकारी दफ्तरों के साथ ही न्यायालयों में भी विचाराधीन है। निजी स्तर पर की गई शिकायतों के बारे में भी उम्मीद है कि सरकार शीघ्र ही स्थानीय स्तर से रिपोर्ट तलब कर उन मामलों का निस्तारण करें। सूत्रों का यहां तक भी कहना है कि कुछ शिकायतें राजनीतिक विद्वेष के कारण भी एक दूसरे के खिलाफ दर्ज कराई गई हैं उनका भी शीघ्र ही निस्तारण हो जिससे झूठ सच सामने आ सके और भविष्य में ऐसी शिकायतों को लेकर नियम भी कड़े किए जा सकते हैं। नगर की कई कालोनियों में सरकारी जमीन मिलाकर बेचे जाने की शिकायतों के साथ ही सरकारी जमीन को घेरकर सड़कें बना प्लाटिंग करने के मामले भी शिकायतों में शामिल हैं उच्च स्तर से उनकी जांच रिपोर्ट मांगी जाती है जिसमें स्थानीय कर्मचारी मनमाने तरीके से अपनी रिपोर्ट भेज कर उच्चाधिकारियों को भी भ्रमित कर रहे हैं और मामलों को लटकाने में लगे हैं उसको लेकर भी शासन के निगाहें तिरछी होने जा रही हैं कुछ मामलों को तो लेखपाल स्तर से ही वर्षों से इधर से उधर घुमाया जा रहा है लेकिन उनका निस्तारण नहीं हो रहा शासन अब ऐसे मामलों को भी सुलझाने की तैयारी में है अब देखना यह है कि उच्च स्तर से ऐसे मामलों में क्या हो सकता है ? इस बारे में भी सावधानी रखी जा रही है कि जांच में जो दोषी पाया जाएगा वह उसके खिलाफ न्यायालय में जा सकता है उसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं जिससे कि ऐसे मामले क्या जल्द समाप्त हो सके ।
इसमें कुछ ऐसे भी मामले शामिल हैं जिनमें पट्टे किए गए थे शासन स्तर से वह पट्टे निरस्त हो गए और दोबारा से उन्हें बहाल करा कर कालोनियां काट दी गई ऐसी शिकायतों का भी निस्तारण जांच के दायरे में रखा जा सकता है।

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