
दैनिक भास्कर ब्यूरो
बरेली : एक तरफ दरगाह से जुड़े संगठनो द्वारा कहा गया था कि लव जिहाद जैसा कोई शब्द नहीं हैं। वही दरगाह से जुड़े ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन द्वारा उलेमाओं कों जमा कर प्रेस वार्ता आयोजित की। जिसमें डॉक्टर मुहम्मद नईम ने दरगाह आला हज़रत से जुड़े उलेमा से इस मसले पर सवाल पूछा गया तों वही लव जिहाद कों लेकर बरेलवी मसलक से जुड़े लोग फ़िक्रमंद हुए।
मौलाना शहाबुद्दीन की ओर से इस मसले पर शरई रौशनी में फतवा दिया गया उन्होंने कहा कि ये देखा गया है कि मुस्लिम कौम के कुछ नौजवान गैर मुस्लिम लड़कियों से मोहब्बत के इजहार करते हैं फिर शादी करने के लालच में गैर इस्लामी रस्मों को अंजाम देतें हैं। जैसे हाथ में कड़ा पहनतें, कलवा बांधतें, माथे पर टीका लगाते हैं।वही सोशल मीडिया पर अपनी इस्लामिक पहचान छुपाकर गैर मुस्लिमों के नाम रखते हैं। लड़कियों से बातचीत कर शरई रोशनी में पहचान छिपाई जा रही। ऐसी शादियों को नाजायज व हराम माना जाता हैं।
उलामा ने इस सवाल का जवाब एक फतवे के रूप में दिया है। जिसमें कहा है कि इस्लाम के मानने वालों को हमेशा ये ख़्याल रखना चाहिए कि इस्लाम ने उन्हें जीने का एक तरीक़ा दिया है। जो काफ़ी शानदार है। मजहब ने अपने मानने वालों को मुसलमान जाहिर होने के लिए कुछ निशानियां व पहचान भी दी हुई हैं। लेकिन माथे पर टीका लगाने, हाथ में कड़ा पहनने, और लाल धागा बांधना, औरतों को सर के बालों में सिन्दूर लगाना, जुन्नार बंधना की इजाज़त नहीं है। ये सब मुसलमानों पर जायज़ नहीं है। बल्कि ये सभी निशानियां दूसरे धर्मों की हैं। इसलिए कोई भी मुसलमानों कों इन चीज़ो के इस्तेमाल से बचना चाहिए। अगर फिर भी कोई मुस्लिम इनका इस्तेमाल करता है तो इसका मतलब ये है कि वो अपने मज़हबे इस्लाम और अपने मुसलमान होने की पहचान को छिपा रहा है, जो पूरी तरह से नाजायज़ व हराम है।
इस्लाम मे टीका लगाने, जुन्नार बांधने और चोटी रखने वाले को शरीयत ने सख्ती के साथ गुनाहे कबीरा माना है। वही कहा गया कि जो मुस्लिम लड़के अपनी इस्लामिक पहचान छुपाने की नियत से दूसरे मज़हब की लड़कियों के साथ शादी करने की नीयत से षड्यंत्र रचते हैं। वो इस्लाम मज़हब से निकल जाने के करीब हो जाते हैं। वही उलामा ने इस मसले पर विस्तार से रौशनी डालते हुए कहा है कि “अल्लाह ताला ने कुरान शरीफ में कहा है कि ऐ मोमिनों गैर-मुस्लिम औरतों से उस वक्त तक निकाह न करों।
जब तक वो ईमान वाली न हो जाएं. (तर्जमा क़ुरान शरीफ़) “इसलिए जो मुस्लिम लड़के हाथों में कड़ा या धागों का कलवा पहनते हैं, सोशल मीडिया पर अपना इस्लामिक नाम छुपाते हैं, या गैर मुस्लिम जैसा नाम रखते हैं, तो वो तौबा के हक़दार हैं। इस्लाम ऐसे किसी भी कृत्य से बचने और तौबा करने की हिदायत देता है। तो वक्त रहते उसे तौबा करनी चाहिए और ख़ुदा की बारगाह में सजदा करना चाहिए. इस्लाम ने ज़िंदगी जीने का जो तरीका और सलीका दिया है। उसी के मुताबिक बसर करें। इससे दुनिया और आखिरत में भी तकलीफ़ों से बरी रहेंगे।