भास्कर समाचार सेवा
मैनपुरी। फरवरी माह के मौसम को देखकर ऐसा लग रहा था कि अबकी पाक माह में रोजेदारों के सब्र का इंतिहान होगा। मगर मार्च माह में मौसम ने ऐसी करवट बदली कि पाक माह रोजेदारों पर खुदा की रहमत बरसी। सुबह से आसमान में जहां बदली छाई रही, वहीं ठंडी हवाओं और बूंदा-बांदी से मौसम काफी खुशगवार रहा। जिससे लगभग साढ़े 13 घंटे के रोजा के दौरान बंदों को काफी राहत पहुंचा।
31 साल बाद मार्च माह में रामजान का पाक माह शुरू हुआ है। 1992 में भी 24 मार्च को पहला रोजा था। मगर उस समय का मौसम याद कर रोजदार सिहर उठते हैं। कहते है तेज धूप व तपिश के बीच रोजा रखकर खुदा की इबादत की गई थी। उसकी तुलना में अबकी साल खुदा का करम बंदों पर बरस रहा है। रमजान के पाक माह में लोगों की दुआ कुबूल होती है। पहले दो दिन सुबह से ही आसमान में बदली छाई रही। 11 बजते बूंदा-बांदी शुरू हो गई। पूरे दिन मौसम खुदगवार रहा, जिसके कारण रोजेदारों ने राहत की सांस ली। रोजेदारों ने खजूर खाकर पानी पिया और घर में बने पकवान के स्वाद चखे।
महिलाये भी रोजा रख निभा रही पुरूषो का साथ
रमजान के पाक माह में रोजा रखकर खुदा की इबादत के साथ ही महिलाए अपनी जिम्मेदारी का पूर्ण रूप से निर्वहन कर रही हैं। छोटे बच्चियों से लेकर युवतियां व युवक भी रोजा रख कर खुदा की इबादत में रहे। परिवार की जिम्मेदारी के साथ ही इफ्तार और सहरी की पूरी व्यवस्था महिलाओं ने देखी। घर में इफ्तार के लिए नए-नए तरीके के पकवान बनाने के साथ ही पांच वक्त का नमाज अदा करना महिलएं नहीं भूलीं। यही नहीं नमाज के बाद कुराने पाक की तिलावत का दौर भी शुरू हो गया।
रेशमा फातिमा कहती है कि पाक माह रमजान शुरू हो गया है। ऐसे में रोजा रखकर खुदा की इबादत की। इस दौरान घर में कार्य को भी पूरी जिम्मेदारी पूर्वक किया गया। बे कहती है रोजा रखने से सवाव आता है और हमे गुनाहो से माफी भी मिलती है।