- हिंदुजा ग्रुप ने 9 हजार करोड़ की बोली लगाकर अब मुकर गया
नई दिल्ली (ईएमएस)। अनिल अंबानी की दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कैपिटल में बैंकों का 24 हजार करोड़ रुपये फंसा हुआ है, लेकिन फिलहाल उनकी मुश्किलें सुलझने का नाम नहीं ले रही हैं। हिंदुजा ग्रुप ने दिसंबर में अपनी बोली बढ़ाकर 9 हजार करोड़ रुपये कर दी थी, लेकिन अब वह इससे मुकर गया है। उसने बैंकों से कहा है कि वह इतना बड़ा ऑफर नहीं दे पाएगा। पहली नीलामी में टोरेंट ने सबसे बड़ी बोली लगाई थी। टोरेंट ने 8,640 करोड़ रुपये और हिंदुजा ने 8,110 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। इसके बाद हिंदुजा ने अपनी बोली बढ़ाकर 9 हजार करोड़ रुपये कर दी थी। इससे दूसरे दौर की नीलामी की बात हुई। इसे टोरेंट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस पर फैसला नहीं सुनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस कैपिटल के कुछ लेंडर्स की टोरेंट ग्रुप और हिंदुजा ग्रुप के साथ शुक्रवार को मीटिंग हुई। इसमें हिंदुजा ने कहा कि उसकी 8,110 करोड़ रुपये की मूल बोली को ही माना जाना चाहिए। हिंदुजा ने चैलेंज मैकेनिज्म की तहत अपनी बोली बढ़ाई थी। इससे बैंकों को इंटरेस्ट कॉस्ट के रूप में भारी नुकसान हो सकता है। हाल में पेश बजट में पांच लाख रुपये से अधिक के इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाया गया है।
इससे रिलायंस कैपिटल की वैल्यूएशन और गिर गई है। रिलायंस कैपिटल की रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस में 51 फीसदी और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस में 100 फीसदी हिस्सेदारी है। सुप्रीम कोर्ट टॉरेंट की अपील पर सभी पक्षों को नोटिस जारी कर चुका है। मामले की सुनवाई अगस्त में होगी। इस बीच कोर्ट ने बैंकों को सेकंड चैलेंज मैकेनिज्म यानी बातचीत की अनुमति दे दी है, लेकिन सबकुछ टोरेंट की अपील पर फाइनल ऑर्डर पर निर्भर करेगा। इसका मतलब यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक बैंक किसी और को नहीं दे सकते हैं।
यही वजह है कि कोई भी बिडर अब इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता है। इसके साथ ही एक तरह के कंपनी की रिजॉल्यूशन प्रोसेस रुक गई है। यह प्रोसेस नवंबर 2021 में शुरू हुई थी। रिलायंस कैपिटल इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग प्रोसेस से गुजर रही है। इसमें करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है। आरबीआई ने भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग शुरू की थी। पहले राउंड में टोरेंट ने इसके लिए 8,640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अनिल अंबानी नेटवर्थ 45 बिलियन अरब डॉलर थी और उस समय वह देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे, लेकिन आज उनकी नेटवर्थ जीरो है।