भास्कर समाचार सेवा
मैनपुरी । जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्राथमिक स्तर के अध्यापकों और आंगनवाडी कार्यकत्री की क्षमता संवर्धन एवं उन्मुखीकरण हेतु ’’हमारा ऑंगन-हमारे बच्चे‘‘ एक दिवसीय उत्सव कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये उपस्थित शिक्षकों, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का आव्हान करते हुये कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में सी.बी.एस.ई., आई.सी.एस.ई., अन्य कॉन्वेट विद्यालय स्तर के मानक स्थापित कर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को हर क्षेत्र में पारगंत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें ताकि प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भी इंग्लिश मीडियम के बच्चों की भांति परिषदीय विद्यालयों का नाम रोशन करें। उन्होने कहा कि यद्यपि यह एक चुनौती भरा कार्य है लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों में टेलेंट की कोई कमी नहीं है, सभी शिक्षक अपने-अपने विषयों में पारंगत हैं, तमाम शिक्षक काफी अनुभवी है, यदि आप सब ठान लें तो प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में तेजी से सुधार ला सकते हैं, शासन द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं हेतु सभी मूल-भूत सुविधाओं की व्यवस्था कर दी गयी है, तमाम विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में भी सुधार हुआ है, लेकिन अभी और सुधार की गुजांइश है। उन्होने कहा कि हमारे देश में प्राथमिक विद्यालयों में कोई भी सम्पन्न, पढ़ा-लिखा व्यक्ति इन विद्यालयों में अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए नहीं भेजता है, गरीब व्यक्तियों के बच्चे ही बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में पढ़ने आते हैं, वहीं दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों की योग्यता प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से कई गुना ज्यादा होती है, फिर भी जो शिक्षा का माहौल है, उसमें बुनियादी परिवर्तन का न आना चिन्ता का विषय बना हुआ है।
श्री सिंह ने कहा कि किसी भी स्वस्थ समाज, मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए बच्चों की बुनियादी शिक्षा में 03 बातों को समावेश होना बेहद जरूरी है, पहली प्रारम्भिक शिक्षा, दूसरी स्वास्थ्य, स्वास्थ्य में व्यायाम, साफ-सफाई, खान-पान, योग आदि को समावेषित करते हुये बच्चों के अंदर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का होना बेहद आवश्यक है, अच्छा स्वास्थ्य बेहतर मस्तिष्क के लिए आवश्यक है, स्वास्थ्य से बड़ा उपहार कुछ भी नहीं होता। उन्होने कहा कि स्वस्थ्य रहने के लिए किसी भी बच्चे के नाखून, बाल बड़े न हों, प्रतिदिन नहाने की आदत हो, सफाई से खान-पान किया जाये इसके विषय में भी हमारा योगदान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के अन्दर स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता होनी चाहिये, तीसरा हमारी भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों की पहचान, हमारी संस्कृति कितनी समृद्व रही है, ऋषि-मुनियों का देश कितना समृद्व रहा है, हम उस धरती मां, भारतवर्ष की संतान है, जो परम्परागत रूप से पावन धरती रही है, जहां पर संस्कारों, मूल्यों की पुरानी परम्परा है, यह गौरव का भाव छोटे-छोटे बच्चों के मन में प्रारम्भ से ही आने चाहिये ताकि यह बडे होकर एक चरित्रवान नागरिक बन सकें।
जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान ने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर लगाए गए स्टॉल का अवलोकन करने से जानकारी मिली कि शिक्षकों ने नौनिहालों को अक्षर ज्ञान, भाषा ज्ञान में कैसे निपुण करें, के संबंध में बेहतर प्रयास देखने को मिला, प्राइमरी शिक्षा से पहले बच्चों को विद्यालय में परिवार जैसा माहौल मिले इसके लिए आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किए, जहां उनके स्वास्थ्य, शिक्षण, खान-पान का ध्यान आंगनवाड़ी केंद्र की सहायिका, कार्यकत्रियों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों पूर्व की शिक्षा और आज की शिक्षा में काफी अंतर है, पहले विद्यालयों में सुविधाएं नहीं थी, लोगों के पास संसाधनों की कमी थी, लेकिन आज प्राथमिक विद्यालय प्रत्येक सुविधा से सुसज्जित है, ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सभी विद्यालयों में मूल-भूत सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, आज प्राथमिक विद्यालयों में देश की भावी पीढ़ी को ज्ञानवान के साथ-साथ संस्कारवान बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी चिकित्सक के गलत इलाज के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है, किसी इंजीनियर की गलत नापतोल, कार्य की गुणवत्ता खराब होने के फलस्वरूप किसी इमारत को नुकसान हो सकता है, प्रशासनिक स्तर से लिए गए गलत निर्णय के कारण किसी एक व्यक्ति को हानि पहुंच सकती है लेकिन प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक के गलत निर्णय, गलत शिक्षण कार्य से देश के भविष्य बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो सकती है, इसलिए शिक्षकों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, आप सब बच्चों के भविष्य को संवारने, सुधारने की दिशा में कार्य करें, छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दें ताकि वह जीवन में किसी न किसी क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर सकें। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, प्रदेश के तपस्वी मुख्यमंत्री ने कोरोना कॉल में भी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का कार्य किया, तमाम शिक्षकों ने अपने निजी वेतन से तैनाती वाले विद्यालयों में ढांचागत सुधार करने में योगदान किया है, ऐसे सभी शिक्षक बधाई के पात्र हैं।
जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह, मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक सतीश चंद्र, अभय प्रताप सिंह, मनोज कुमार, रीना गुप्ता, साधना अंबेश, रजनीश राठौर, नूतन श्रीवास्तव, पंकज कुमार, मेधा चौहान, प्रदीप कुमार वर्मा, मंजू यादव, सुजाता चौहान, प्रीति यादव, रेशू जैन, प्रदीप कुमार, नीरा यादव, अनूप श्रीवास्तव, संजीव कुमार, पुष्पेंद्र राजपूत, मुनेश कुमार, हेमंत कुमार यादव, अंजलि, सोनम, अमित कुमार सिंह, शशीकांत दिक्षित, प्रदीप कुमार, प्रवीन कुमार, किरनबाला, प्रगति वर्मा, वीनेश कुमार तथा आंगनवाड़ी कार्यकत्री संध्या, रीता, पुष्पलता, शमीम बानो, नीरज, मनोरमा, गायत्री, आशा, शशि कला, नीतू, सीमा, आशा, विमलेश, नीरज, सीमा, सुषमा, अंजनी, मनोज, सुषमा, कल्पना को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, उप जिलाधिकारी सदर नवोदिता शर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपिका गुप्ता, प्र. जिला कार्यक्रम अधिकारी अरविन्द कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी किशनी, बेवर, सुल्तानगंज, बरनाहल, जागीर, मैनपुरी, नगर क्षेत्र सुनील कुमार दुबे, नीरजा चतुर्वेदी, उदय नारायण कटियार, कौशल कुमार, अनुपम शुक्ला आदि उपस्थित रहे, कार्यक्रम का संचालन राकेश कुमार ने किया।