भास्कर समाचार सेवा
इटावा। आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों में बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया बीपीएच से पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ जाता है। इससे मूत्र मार्ग पर दबाव पड़ने लगता है और मूत्राशय खाली करने में परेशानी होती है।
सैंफई मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ मुकेश कुमार ने बताया कि रात में अगर बार बार पेशाब जाना पड़े, पेशाब की धार धीमी या पतली हो, पेशाब रुक-रुक कर हो या पेशाब में जलन या नियंत्रण नहीं हो या फिर पेशाब करने के प्रारंभ में थोड़ा वक्त लगता हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण हैं। प्रोस्टेट बढ़ने पर कई मरीजों को दवा से आराम मिल जाता है लेकिन कुछ मामलों में ऑपरेशन भी करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि पेशाब पूर्ण तरह से नहीं होने पर मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाता है। इससे पेशाब में संक्रमण, पेशाब में खून आने की सम्भावना बनी रहती है। पेशाब इकट्ठा होने पर पेशाब की थैली में पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि सैफई मेडिकल कॉलेज में प्रोस्टेट के ऑपरेशन के लिए अत्याधुनिक तकनीक प्रयोग में लाई जा रही है। इसमें दूरबीन व लेजर विधि का प्रयोग किया जा रहा है। इस विधि में बिना चीरे और टांके के ऑपरेशन संभव है। डॉ मुकेश ने बताया कि प्रोस्टेट के मरीजों को तरल पदार्थ की मात्रा एक समय में अधिक नहीं लेना चाहिए। रात में सोने से 2 घंटे पहले तरल पदार्थ का सेवन कम करें। शाकाहारी भोजन करें रंग-बिरंगे फल सब्जियां खाएं। शराब धूम्रपान तंबाकू का प्रयोग नहीं करें।