औरैया : निकाय चुनाव के संभावित दावेदार अभिलेख बनवाने में जुटे

औरैया। जिले में स्थानीय निकाय चुनाव में अध्यक्ष व सभासद पद के संभावित दावेदारों द्वारा अपने अपने आवश्यक अभिलेख बनवाने के लिए कवायद तेज करने के साथ ही राजनीतिक दलों से टिकट पक्की कराने को लेकर नेताओं की गणेश परिक्रमा तेज किए जाने के साथ अपने आवेदन देने का सिलसिला भी तेज हो गया है। इस बार चुनावी वैतरणी पार करने के लिए सबसे अधिक प्रत्याशी बनने की होड़ भाजपा व सपा में देखने में आ रही ।

स्थानीय निकाय चुनाव की आहट मिलते ही जिले की औरैया नगर पालिका परिषद के साथ ही जिले की 6 नगर पंचायतों बिधूना, अछल्दा, अजीतमल, अटसू, दिबियापुर और फफूंद में अध्यक्ष व सभासद पद के संभावित दावेदारों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। संबंधित संभावित दावेदारों द्वारा आवश्यक अभिलेखों को तैयार कराने के लिए नगर पालिका परिषद नगर पंचायत वह तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने के साथ ही राजनीतिक दलों से संबंधित दावेदारों में अधिकांशतः सत्ताधारी भाजपा व विपक्षी पार्टी सपा से अपनी अपनी टिकट पक्की कराने को लेकर अधिक होड़ लगी देखी जा रही है।

दलों से टिकट पाने को प्रत्याशी कर रहे आवेदन

आलम यह है कि भाजपा व सपा से टिकट पाने की मंशा बनाए दावेदार जिला व प्रदेश के पार्टी दिग्गजों से अपनी अपनी टिकट पक्की कराने की गुहारें लगाते उनकी गणेश परिक्रमा में जी जान से जुटे देखे जा रहे हैं। कुछ अध्यक्ष पद के संभावित दावेदार दिग्गज ऐसे भी है जो अपने अपने राजनीतिक दलों से संबंध रखने के बावजूद भी अपनी पार्टी से टिकट पाकर भला होना न मानकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकने को भी बेताब हैं। इतना ही नहीं कुछ तथाकथित संभावित दावेदार तो ऐसे भी हैं जो अपने मनमाफिक दल से टिकट ना मिलने पर ऐन वक्त पर पाला बदलकर दूसरे राजनीतिक दल से चुनाव लड़ने का अभी से ही मूड बनाए माने जा रहे हैं। वैसे खासकर सपा भाजपा में टिकट पाने के लिए अपने अपने आवेदन सौंपने की भी होड़ लगी हुई है।

जनचर्चा तो आम यह भी है कि जिले की उपरोक्त 6 नगर पंचायतों व एकमात्र नगर पालिका परिषद में कुछ ऐसे भी संभावित दावेदार हैं जो अपने राजनीतिक दल से टिकट ना मिलने पर पाला बदलकर दूसरे राजनीतिक दल में शामिल होकर चुनावी समर में कूद सकते हैं ऐसे में कुर्सी के भूखे जनप्रतिनिधियों से जहां चुनाव में उनके संबंधित पार्टी के प्रत्याशी को नुकसान पहुंचने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है वहीं यह नेता जनता का कितना भला कर सकेंगे इस पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

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