
भास्कर समाचार सेवा
सहारनपुर। समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय पर सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले जी का जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से पार्टी कार्यालय पर मनाया गया समाजवादी कार्यकर्ताओं ने फोटो पर पुष्पांजलि करते हुए नमन किया कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला अध्यक्ष चौधरी अब्दुल वाहिद पूर्व विधायक संजय गर्ग ने कहा की महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे महाराष्ट्र में हुआ था उन्हें 19 वी सदी का प्रमुख समाज सुधारक माना जाता है वह आधुनिक भारत के सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे ज्योतिबा फुले ने पुरानी रुढिगत समाज व्यवस्था के विरुद्ध बगावत और हजारों वर्षों से चली आ रही धार्मिक तानाशाही वह अंधविश्वास को चुनौती देकर उसके अंजर पंजर ढीले कर देने वाले वह कर्मठ समाज सुधारक सच्चे अर्थों में मानवतावादी महात्मा थे महात्मा या महापुरूष वही होता है, जो समग्र समाज को समानता, स्वतंत्रता, तथा बंधुता का लाभ दिलाने के लिए सघर्ष करता है, जो किसी से घृणा नहीं करता है और जो मानव के प्रति समभाव से प्रेम व करूणा से प्रेरित होकर मानवाधिकारों के लिए लड़ता है। पूर्व महानगर अध्यक्ष फैसल सलमानी सपा नेता अमरीश चौटाला व विनोद तेजयान ने कहा ज्योतिबा फुले ने समाज की प्रगति में बाधक कुरीतियों व रूढ़ियों को तोड़कर समाज को एक नया तार्किक रास्ता दिखया। ज्योतिबा फुले समाज को विषमतावादी धार्मिक गुलामी से मुक्त कराना चाहते थे। वे समाज को धार्मिक, सामजिक, पंथों, संप्रदायों के संकीर्ण दायरे से निकालकर मानव-धर्म के महासागर में ले जाना चाहते थे।
उन्होंने भारतीय समाज में फैली कई सामाजिक कुरीतियों, आडंबरों, धार्मिक कर्मकांडों, पाखंडो व अंधविस्वासों के खिलाफ जन जागृति फैलाकर मानवतावादी विचारधारा की स्थापाना की। शूद्रों, अतिशूद्रों के उद्धार, नारी शिक्षा, विधवा विवाह और शोषण के शिकार किसानों के हित के लिए ज्योतिबा फुले ने अतुलनीय योगदान दिया है। उन्होंने सत्य शोधक समाज नामक संस्था की स्थापना कर समाज में गरीब, शोषित, नारी, शूद्रों के अपमान व शोषण के खिलाफ आवाज उठायी तो शूद्र व स्त्रियों की शिक्षा के लिए स्कूल खोले, जातीय ऊंच-नीच पर करारा हथौड़ा चलाते हुए अपने घर के कुए को अछूतों के लिए सार्वजनिक तौर पर खोल दिया।राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले कहते थे कि इस जगत का रचियता एक प्रकृति ही है। वह सर्वत्र व्याप्त, निर्गुण, निराकार और सत्यस्वरूप् है। विश्व के सभी स्त्री-पुरूष उसकी संतानें हैं जिस प्रकार मां को प्रसव करने के लिए या पिता से प्रार्थना करने के लिए किसी भी बिचौलिए की जरूरत नही होती है ठीक उसी प्रकार सर्वव्यापी सृष्टि कर्ता की आराधना के लिए भी किसी पंडे-पुरोहित, पादरी, मौलवी जैसे की जरूरत नहीं है हर मनुष्य अपनी धार्मिक विधियां स्वयं कर सकता हैं, मनुष्य अपनी जाति से नही, कर्मो से श्रेष्ठ बनता हैं। सभी कार्यकर्ताओं को उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए तभी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी मौजूद रहे जुमला सिंह, गुलजार सलमानी, हसीन कुरेशी, राजकुमार बिरला, कुलदीप हंस, रविदत्त, अनिता रानी,अमित यादव, रोहित कटारिया, सन्दिप,शब्बीर अहमद आदि रहे।















