बूढ़ी गंगा पुनर्जीवन अध्ययन यात्रा में वनस्पतियों गंगा की चौड़ाई जलचरओ की स्थिति को देखा गया

भास्कर समाचार सेवा
गढ़मुक्तेश्वर।
लोकभारती के तत्वाधान में बूढ़ी गंगा पुनर्जीवन अध्ययन यात्रा के द्वितीय चरण में मध्य गंगा कैनाल के रेगुलेटर से होते हुए गंगा नदी में मिलने वाली नहर से असीलपुर, सारंगपुर एवं जमालपुर तथा सैदपुर के जंगल से होते हुए बूढ़ी गंगा की यात्रा का प्रारंभ किया गया। जहां विविध वनस्पतियों बूढ़ी गंगा की चौड़ाई उसकी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति एवं वहां जलचरओ की स्थिति को देखा गया।
यह यात्रा हापुड़ एवं मेरठ जनपद के ग्रामों से होती हुई ग्राम भगवंतपुर के प्रसादीपुर, एदलपुर के जंगल तक समाप्त हुई।
पर्यावरणविद एवं यात्रा के संयोजक भारत भूषण गर्ग ने बताया कि जरनैल सिंह फॉर्म मेहता फॉर्म तथा गंगानगर फार्म पर नदी पुनर्जीवित स्थिति में मिली वहां एक फीट से लेकर 8-10 फीट तक जल नदी में विद्यमान था। नदी के किनारों पर खजूर, जामुन, नीम, पीपल, सेमल आदि के वृक्ष बहुतायत में थे। नदी के बीच में नर्सल शोक समुंद्र एवं जल वाली घास पटेरा सहित देखी गई। एक-दो स्थानों पर नदी की धारा के प्रवाह के बीच जंगल एवं गन्ना लगा हुआ भी पाया गया। ग्राम वासियों ने संकल्प लिया कि हम इस नदी के पुनर्जीवन यात्रा में पर्यावरणविद भारत भूषण गर्ग एवं साथियों के साथ हैं। जहां पर जंगली जीव जंतुओं में बारहसिंघा, पहाड़ा, हिरण, नीलगाय तथा तेंदुए को होना बताया गया। यात्रा में ग्राम प्रधान रामपुर न्यामतपुर टीकम सिंह, ग्राम प्रधान भगवंतपुर काबल सिंह, सरदार गुरप्रीत सिंह, लोक भारती के संच प्रमुख मूलचंद आर्य, डायरेक्टर विनोद कुमार, संदीप सिंह, रणजीत सिंह, बलप्रीत सिंह आदि साथ रहे।

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