भास्कर समाचार सेवा
जसवंतनगर/इटावा। आखिरकार 30 वर्षों से भी अधिक समय के अंतराल बाद धर्मनगरी जसवंतनगर आज पुष्पगिरी प्रणेता गणाचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के आगमन से धन्य हुई।तड़के, प्रात इटावा से जैसे ही आचार्य श्री का नगर की सीमा में बैंड बाजा के साथ प्रवेश हुआ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पलके बिछाए उनका स्वागत किया।
कानपुर, इटावा, करहल, मैनपुरी, भिंड, फिरोजाबाद आदि के साथ-साथ नगर से भी सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जैन मंदिर मार्ग पर जगह-जगह पाद प्रक्षालन, आरती, भक्ति श्रद्धालुओं ने की नारों के साथ युवा जैन धर्म की जय घोष करते हुए चल रहे थे छोटे-छोटे बच्चे आचार्य श्री के जयकारे लगा रहे थे। विदित है आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज का जसवंतनगर में आगमन 30 साल बाद हुआ है इससे पूर्व उन्होंने नगर में प्रवास करके एक शिविर का आयोजन किया था जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे थे। प्रवेश के बाद जैन मंदिर के दर्शन करते हुए वे जैन भवन पहुंचे। समाज के अध्यक्ष राजेश जैन ने दीप प्रज्वलन किया मंगलाचरण के बाद आचार्य श्री के मांगलिक प्रवचन आरंभ हुए। जैन धर्म पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा जैन धर्म, जैन कुल बहुत पुण्य से हमें मिला है हमें अपनी आत्मा की पहचान कर जिन मार्ग में लगना चाहिए, प्रतिदिन कोई न कोई एक बुराई को जीवन से निकालना चाहिए धीरे-धीरे हम सभी बुराइयों को निकालते हुए भगवान बन सकते हैं। 24 घंटे में 1 मिनट पूरे दिन का आंकलन करते हुए यह सोचना चाहिए हमने किसके साथ बुरा किया एवं किसके साथ अच्छा किया छोटी-छोटी आदतों से ही जीवन में अच्छाइयां आती हैं और समाधि की ओर जीवन बढ़ता है। हमें अपने शरीर में स्थित आत्मा से प्रेम करते हुए उसकी आराधना करनी चाहिए हम फालतू की चीजों में तो लगे रहते हैं लेकिन अपने स्वभाव को नहीं पहचानते। आगे प्रवचन में बोलते हुए उन्होंने कहा जसवंतनगर के नाम मैं ही जस है ऐसी धर्म नगरी में धर्म प्रभावना होती रहनी चाहिए। नगर के लोग बहुत पुण्यशाली है जो धर्म मार्ग में लगे रहते हैं। समस्त कार्यक्रम में जैन युवाओं, जिनशासन महिला मंडल व सकल जैन समाज का विशेष सहयोग रहा व जैन बाजार व लुधपुरा दोनों जैन समाज लोगों ने समस्त कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।