केपटाउन (ईएमएस)। क्या आपने कभी सोचा है कि तोता सभी शब्दों को साफ-साफ कैसे बोल पाता है?सबसे पहले समझते हैं कि तोता बिना होंठों के कैसे सभी शब्द बोल पाता है। दरअसल, तोतों में श्वसन नली और फेफड़ों के आधार के बीच एक खोखली वाई आकार की संरचना होती है। इसे सिरिंक्स कहा जाता है।जब तोता सांस लेता है तो हवा सिरिंक्स से होकर गुजरती है।इससे इसमें कंपन होता है, जिससे शोर पैदा होता है।तोता इस शोर को मांसपेशियों की एक पूरी सीरीज और सिरिंक्स के बाहर मुलायम हड्डी के छल्ले की मदद से नियंत्रित करता है।इससे तोते को आपकी कही बात को दोहराने या गाना गाने में मदद मिलती है। अफ्रीका में पाया जाने वाला ग्रे पैरेट इतना साफ बोलता है कि परिवार के किसी सदस्य की मदद से अपना इलाज तक कर लेता है।
अब सवाल ये उठता है कि उसे शब्दों की पहचान कैसे होती है।उसे कैसे पता चलता है कि किस शब्द का मतलब क्या है और उसे भविष्य में कब व कहां इस्तेमाल करना है।वैज्ञानिकों के मुताबिक, तोते का दिमाग बाकी पक्षियों के मुकाबले अलग तरह से बना होता है।इसी वजह से तोते इंसानों की भाषा समझ और बोल पाते हैं.वैज्ञानिकों के मुताबिक, गाना गाने की क्षमता रखने वाले पक्षी भी तोते के दिमाग की बराबरी नहीं कर सकते हैं।तोते के दिमाग पर दुनियाभर में करीब 34 साल से शोध व अध्ययन चल रहे थे।अब वैज्ञानिकों ने पता कर लिया है कि तोते के दिमाग के बाहरी रिंग में मौजूद शेल बोलना सीखने में मदद करते हैं।इनका आकार दूसरे पक्षियों के शेल्स के मुकाबले बड़ा होता है। इसी से तोते मनुष्य की आवाज की बारीकियां समझकर उसे दोहरा पाते हैं।ड्यूक यूनिवर्सिटी में न्यूरोबायॉलजी के प्रोफेसर और हॉवर्ड ह्यूज मेडिकल इंस्टीट्यूट से जुड़े एरिक जार्विस की लैब में शोधकर्ता रहीं मुक्ता चक्रवर्ती के मुताबिक, तोते उन बहुत कम जीवों में से हैं, जिन्हें भाषाएं सीखने में सक्षम माना जाता है।शोध के लिए डेनमार्क और नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने ब्रेन टिशू मुहैया कराए।शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में पाए जाने वाले 8 तरह के तोतों के दिमाग का अध्ययन किया गया।
तोते सिर्फ इंसानों की तरह बात ही नहीं करते, बल्कि वे हमारी तरह गा भी सकते हैं।हालांकि, तोते बहुत खुश होने पर ही गाते हैं।तोता गाना गाना काफी पसंद करता है।इसमें गड़गड़ाहट से लेकर सीटी तक सब शामिल हैं।कुछ तोते की प्रजातियां दूसरों के मुकाबले ज्यादा संगीत पसंद करते हैं। मालूम हो कि इंसानों को होठ, जीभ, तालु के समन्वय के कारण ही अपनी पूरी बात साफ तौर पर कहने की सहूलियत हैं।कई शब्दों में हमें अपने लिप्स तो कई में जीभ को अलग-अलग तरह से मोड़ने की जरूरत पड़ती है।इसी प्रक्रिया के जरिये हम स्वर को ध्वनि दे पाते हैं। वहीं, तोते के पास होठ होते ही नहीं हैं।