बड़े कांड के बाद नेपाल बॉर्डर पर जारी होता है अलर्ट, गोरखपुर के कई जिले से सटी है सीमा

गोरखपुर। भारत में कहीं भी बड़ी वारदात होती है तो देशभर के साथ ही नेपाल बॉर्डर पर भी अलर्ट जारी हो जाता है। ऐसे में गोरखपुर का नाम भी सुर्खियों में आ ही जाता है। क्योंकि गोरखपुर जोन से कई सीमाएं नेपाल बॉर्डर से सटी हुई हैं। खालिस्तान समर्थक भगोड़े अमृतपाल सिंह ने शनिवार देर रात पंजाब में सरेंडर कर दिया। अमृतपाल को पकडऩे के लिए भी गोरखपुर से सटी सभी नेपाल बॉर्डर की सीमाओं पर पोस्टर चस्पा किए गए थे। वहीं प्रयागराज में हुई उमेश पाल हत्याकांड में भी आरोपियों का पोस्टर बॉर्डर पर शेयर किया गया था। आइए जानते हैं कि वारदात के बाद बदमाश नेपाल ही क्यों भागना चाहते हैं। 

बदमाशो के लिए सेफ जोन है नेपाल

रिटायर्ड सीओ शिवपूजन यादव ने बताया कि 90 के दशक से ही भारत में कहीं भी गाड़ी चोरी होती थी, उसे नेपाल में ही खपाया जाता था। मैं नौतनवां का 3 साल सीओ रहा हूं। उस समय हमेशा गाड़ी चोरी के मामले आते थे, जिसका कनेक्शन नेपाल से रहता था। नेपाल अपराधियों के लिए शुरू से ही सेफ जोन रहा है।अपराध करने के बाद बदमाश किसी तरह बॉर्डर पार कर लेते थे, इसके बाद वो सुरक्षित हो जाते थे। कई बड़े अपराधियों ने नेपाल के अंदर अपना अड्डा बना रखा था। जहां पर बदमाशों को शरण दी जाती थी। आज भी वारदात करके अपराधी नेपाल ही भागना चाहते हैं।यहां पहुंंचने के बाद फर्जी डॉक्यूमेंट के सहारे वे दूसरे देश भी आसानी से निकल जाते हैं।

गोरखपुर के बदमाशों को डी कंपनी ने दी शरण 

जानकार बताते हैं कि गोरखपुर के कई बड़े बदमाश मिर्जा दिलशाद बेग, परवेज टाडा को डी कंपनी यानी दाउद ने नेपाल में जगह दी। डी कंपनी का सिर पर हाथ होने की वजह से ही इन्हें नेपाल में शोहरत और पैसा भी कमाया। जिसे देखकर अन्य बदमाशों का भी नेपाल की तरफ अट्रेक्शन बढ़ा। देश विरोधी गतिविधियों में शामिल बदमाशों को भी डी कंपनी से मदद मिलती है।

इस सम्बंध में एडीजी जोन अखिल कुमार ने बताया कि गोरखपुर जोन से नेपाल बॉर्डर से सटी सभी सीमाओं पर सुरक्षा बल हमेशा एक्टिव रहते हैं। बॉर्डर एरिया में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। बॉर्डर एरिया में घुसपैठ, अपराध रोकने के लिए आम नागरिकों को शामिल कर सुरक्षा समितियां बनाई गई है। समिति में शामिल नागरिक हर गलत गतिविधियों की जानकारी पुलिस तक पहुंचाएगा। वही रिटायर्ड सीओ शिवपूजन यादव ने बताया कि हमारे समय में अमित मोहन वर्मा और रामायण उपाध्याय जैसे कई बड़े अपराधी नेपाल में शरण लिए हुए थे। नेपाल से ही ये अपराधी गोरखपुर या अन्य किसी शहर में अपने गुर्गों से अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिलाते थे। ये बदमाश डॉक्टरों से वसूली भी करते थे। शुरू से ही नेपाल अपराधियों के लिए मुफिद जगह बनी हुई है।

इधर हुए दो बड़े मामले में जारी हुआ अलर्ट

– प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद सबसे पहले गोरखपुर से सटी नेपाल सीमओं पर अलर्ट जारी किया गया। वहां पर हत्याकांड में शामिल आरोपियों की फोटो भी शेयर की गई।

– सिद्धार्थनगर से सटी नेपाल सीमा पर ही उमेश पाल हत्याकांड में पहली गिरफ्तारी साजिशकर्ता अधिवक्ता सदाकत के रूप में हुई।

– पंजाब से फरार चल रहे खलिस्तान समर्थक भगोड़े अमृत पाल की गोरखपुर से सटी नेपाल सीमओं पर फोटो चस्पा की गई।अमृतपाल भेष बदलता रहता है, इसलिए उसकी तीन-तीन फोटो लगाई गई।

नेपाल से सटी गोरखपुर की सीमाएं

-सिद्धार्थनगर से बढऩी और खुनुवा बॉर्डर

-महाराजगंज से सोनौली और ठूठीबारी बॉर्डर

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