दुर्लभ अल्बीनो डॉल्फिन को लोगों ने पहली बार देखा, नवविवाहित जोड़े को तोहफे के तौर मिला अदभूत नज़ारा

केप टाउन (ईएमएस)। एक नवविवाहित जोड़े को उनकी शादी के दिन एक बेहद अद्भुत नज़ारा तोहफे के तौर पर मिला। अफ्रीका में यह जोडा एक व्हेल-वॉचिंग जहाज पर सवार थे, और तभी उनका सामना एक अल्बिनो डॉल्फ़िन के बच्चे से हुआ था। यह जोडा दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी केप प्रांत में, एक मरीन वाइडलाइफ़ हॉटस्पॉट, अल्गोआ बे में एक जहाज पर सवार था। नाव के कप्तान लॉयड एडवर्ड्स वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इंडो-पैसिफ़िक बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन (टर्सिओप्स एडंकस) के एक बड़े झुंड के बीच इस अनोखी सफेद डॉल्फिन को देखा।

एडवर्ड्स ने फेसबुक पर लिखा, ये करीब 200 डॉल्फ़िन का झुंड था, जिसके बीच पानी में एक सफेद चमक दिखाई दी। जब मैंने दोबारा नज़र डाली तो यह एक सुंदर अल्बिनो बेबी डॉल्फिन थी। अफ्रीका में अल्बिनो बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन को पहली बार तौरते देखा गया है।ब्रिटेन में व्हेल और डॉल्फिन संरक्षण के एक रिसर्च फेलो और इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ व्हेल्स, डॉल्फ़िन एंड पोरपॉइज़ट के लेखक एरिक होयट का कहना है कि डॉल्फ़िन का ठोस सफेद रंग साफ बताता है कि यह अल्बिनो है। असल में डॉल्फ़िन की आंखों का रंग नहीं दिख पा रहा है, इसलिए निश्चित रूप से यह बताना मुश्किल है कि यह अल्बिनो है या नहीं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि डॉल्फिन की आंखें बंद हों, क्योंकि उनकी आंखें असामान्य रूप से प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं। जेनेटिक टेस्टिंग से ही इसे पक्का किया जा सकता है।अल्बिनो जानवरों का ज़्यादा सेंसिटिव होना ही उनके लिए खतरनाक होता है। इसीलिए अल्बिनो के जीवित रहने की संभावना बहुत कम हो जाती है। यही वजह है कि आपको ऐल्बिनो जानवर कहीं दिखते नहीं हैं, ये बहुत दुर्लभ होते हैं। एरिक होयट का कहना है कि अगर यह बच्चा अगले कुछ महीनों तक जीवित रहता है, तो हो सकता है कि यह वयस्क अवस्था तक जीवित रहे। ज्यादातर प्रजातियों में अल्बिनो खतरे में होते हैं, क्योंकि वे शिकारियों को अलग से दिखाई देते हैं। लेकिन बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन के शिकारी बहुत कम हैं और रंग का संभावित शिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह पहली बार नहीं है जब किसी अल्बिनो डॉल्फिन को देखा गया हो।

जून 2017 में, एक 3 साल की अल्बिनो रिस्सो डॉल्फ़िन (ग्रैम्पस ग्रिसियस) को कैलिफोर्निया के मोंटेरे बे में अपनी मां के साथ तैरते हुए देखा गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बच्चा लगभग एक महीने का है और करीब 3.3 फीट लंबा है, देखकर यह कहा जा सकता है कि वह एक अल्बिनो है, लेकिन सिर्फ़ तस्वीरों से यह बताना मुश्किल है। ऐल्बिनिज़म एक जेनेटिक कंडिशन है, जिसकी वजह से जानवरों में मेलेनिन पिग्मेंट का उत्पादन नहीं होता। यही पिग्मेंट त्वचा, फर, पंख और आँखों को रंग देता है। इसका नतीजा ये होता है कि एल्बिनो जानवर सफेद रंग के दिखाई देते हैं और उनकी आंखें गुलाबी होती हैं। ऐसे जानवर सामान्य से ज़्यादा प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं।

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