केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने और कश्मीर के बारे में बहुत सी गलतफहमियां आज भी कायम हैं, जिनको दूर करना बेहद जरूरी है। इन गलतफहमियों को दूर करना जितना जरूरी जम्मू कश्मीर और वहां की जनता के लिए आवश्यक है, उतना ही देश के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दस साल बाद हमारे इस कदम की समीक्षा की जाएगी तो निष्कर्ष निकलेगा कि जम्मू कश्मीर देश के विकसित राज्यों में एक होगा और कश्मीरी युवा अपनी मेहनत से अपना भविष्य संवार आगे खड़े नजर आएंगे।
रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा, वर्तमान परिप्रेक्ष्य’ पर अपनी बात रखते हुए शाह ने अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए कहा कि इसे लेकर कई गलतफहमियां थीं। कश्मीर को लेकर कभी सच नहीं बताया गया।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले जब देश आजाद हुआ तो उसके सामने सुरक्षा का प्रश्न, संविधान बनाने का प्रश्न जैसे कई प्रकार के प्रश्न सामने थे। इसके साथ ही 630 रियासतों को एक करने का प्रश्न आ गया। 630 अलग-अलग राज्य एक खंड के अंदर समाहित करना और अखंड भारत बनाना, ये तत्कालीन सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती का काम था।
उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल को याद करते हुए कहा कि ‘मैं आदर के साथ देश के प्रथम गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को प्रणाम करके ये बात कहना चाहता हूं कि वो न होते तो ये काम कभी न होता। सरदार पटेल की ही दृढ़ता का परिणाम था कि 630 रियासतें आज एक देश के रूप में दुनिया के अंदर अस्तित्व रखती हैं।’
गृहमंत्री ने कहा कि उस वक्त 630 रियासतों को एक करने में कोई दिक्कत नहीं आई लेकिन जम्मू-कश्मीर को अटूट रूप से अखंड रूप से एक करने में पांच अगस्त, 2019 तक का समय लग गया। सरदार वल्लभ भाई पटेल न होते तो रियासत का एकीकरण न होता। सरदार पटेल की प्रेरणा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म कर देश को अखंड रखा।
शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि ये राजनीतिक स्टैंड है उनको वह स्पष्ट करना चाहता हैं कि ये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का स्टैंड तब से है जब से उसका गठन हुआ है। ये हमारी मान्यता है कि जब अनुच्छेद 370 था, तब देश की एकता और अखंडता के लिए ठीक नहीं था ।
उन्होने कहा कि हम सिर्फ बोलते नहीं हैं। हमने इसके खिलाफ बार-बार आंदोलन किए। ये आंदोलन तब हुए जब कांग्रेस का सूरज अपने चरम पर चमक रहा था और भाजपा नए दल के रुप में स्वीकार्यता के लिए जनता के बीच थी। जब तक अनुच्छेद 370 नहीं हटा, तब तक 11 अलग-अलग आंदोलन हुए, जिसमें ‘मास मोबिलाइजेशन’ भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने किया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रेन के रास्ते जम्मू-कश्मीर गए, उनके पास परमिट नहीं था। वो मानते थे कि मेरे देश में जाने के लिए परमिट की क्या जरूरत है। उनको परमिट नहीं लेने के लिए जेल में डाला गया। श्यामा प्रसाद जी ने अपने जीवन का बलिदान अनुच्छेद 370 हटाने के लिए दिया।
शाह ने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा कि कि कश्मीर का इतिहास तोड़-मरोड़कर देश के सामने रखा गया, क्योंकि जिनकी गलतियां थीं, उनके हिस्से में इतिहास लिखने की जिम्मेदारी आई। उन्होंने अपनी गलतियों को सील्ड करके जनता के सामने रखा। अब समय आ गया है, इतिहास सच्चा लिखा जाए और सच्ची जानकारी जनता के सामने रखी जाए।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का एक दौर चालू हुआ, जिसमें अब तक 41,800 लोग मारे गए। शाह ने सवाल किया कि मानवाधिकार का मुद्दा उठाने वालों को बताना चाहिए कि इन मारे गए लोगों की विधवाओं और इनके यतीम बच्चों की उन्होंने कभी चिंता की है क्या?
शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को हटाया है। अब पांच से सात वर्ष के अंदर जम्मू-कश्मीर देश का सबसे विकसित राज्य बनेगा। यहां टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। दुनिया भर में सबसे कुदरती सौंदर्य ईश्वर ने अगर एक भूखंड पर दिया है तो वो जम्मू-कश्मीर है।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी को देश की जनता ने दूसरी बार प्रधानमंत्री चुना और उन्होंने पहले ही सत्र के अंदर 70 साल के नासूर को उखाड़ कर फेंकने का काम किया।