फतेहपुर : सपा के लिए वरदान बन गई भाजपा की गुटबाजी, कैसे सफ़ल होगा मिशन 2024

दैनिक भास्कर ब्यूरो

फतेहपुर । नगर निकाय चुनाव परिणाम भाजपा के लिए कुछ ख़ास नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि जिस सीट पर भाजपा प्रदेश नेतृत्व निगाहें लगाए रहा हो उस सीट पर मिली हार ने पार्टी को आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया है ! 2022 के विधानसभा चुनाव में सदर सीट पर हुई पार्टी प्रत्याशी की हार औऱ फिर नगर पालिका के परिणाम ने 2024 के लिए भाजपा की राह कठिन कर दी है ।

सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े व पूर्व विधायक विक्रम सिंह के प्रदर्शन का सवाल है तो उन्होंने 2017 के मुकाबले 2022 में अधिक वोट हासिल किए थे। यह चर्चा आम है कि संगठन के कुछ पदाधिकारी औऱ नेताओं की गुटबाजी ने विक्रम सिंह को चुनाव हराने में अहम भूमिका अदा की थी।

2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव मतदाताओं ने न प्रत्याशी देखा न प्रत्याशी की जाति वोट सिर्फ़ मोदी के चेहरे पर दिया। 2017 में ज़िले में ही कुछ एक सीट पर भाजपा को ऐसी जीत मिली जिसकी कल्पना न तो प्रत्याशी ने की थी औऱ न ही सियासी पंडितों ने। लेकिन जीते हुए प्रत्याशियों ने इसे अपना वोट समझ लिया औऱ पूरे ज़िले की राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास करने लगे।

वर्तमान में ज़िले में भाजपा नेता पार्टी हित को छोड़कर भविष्य में होने वाले सम्भावित फायदे की तलाश में पार्टी प्रत्याशी को ही हराने के लिए पूरे चुनाव में मीटिंग करते रहे ! एक वैश्य नेता औऱ उसके भाई की अपने स्वाजातीय लोगों के साथ निकाय चुनाव के दौरान हुई गुप्त बैठकों की चर्चा पूरे ज़िले में है ! निकाय चुनाव के दौरान हर सीट पर भाजपा नेता फुटकर में बंटे नज़र आए, जिसका खामियाजा भाजपा को सदर व जहानाबाद जैसी प्रमुख सीटों पर हार के रुप में भुगतना पड़ा।

2022 के चुनाव परिणाम के बाद भी जिला संगठन पर कई सवाल खड़े हुए थे, क्योंकि जिले की सभी 6 सीट जीतने वाली भाजपा गठबंधन को 2022 में सीधे 2 सीटों का नुकसान हुआ था, बावजूद इसके भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने कोई कदम नहीं उठाए। जिसका खामियाजा इस बार के नगर पालिका चुनाव में भाजपा को सबसे महत्वपूर्ण सीट पर हार के रूप में भुगतना पड़ा ! भाजपा के भीतर कई सालों से गुटबाजी हावी है ! एक दूसरे को कमतर करने की कोशिश में पार्टी के ही नेता लगे हुए हैं जिसका सीधा फ़ायदा समाजवादी पार्टी को मिल रहा है !

पूरे ज़िले में यह चर्चा अब आम हो चुकी है कि ज़िले में भाजपा दो से तीन धड़ों में बंटी हुई है ! हर धड़े के अपने अपने समर्थक हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पार्टी के चार बड़े नेताओं द्वारा आपस में सीटों की अदला बदली की डील की गई है ! उसी के लिए नगर पालिका में पार्टी प्रत्याशी को हराने के लिए भितरघात किया गया है ! एक नेता के हमीरपुर से लड़ने की चर्चा तो एक मंत्री का फतेहपुर से लोकसभा चुनाव लड़ाने का तानाबाना बुना जा चुका है तो वहीं 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक विधायक अपनी सीट बदलकर सदर से चुनाव लड़ने का सपना संजोए बैठे हैं !

नगर पालिका चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को हरवाकर भाजपा में विक्रम सिंह के कद को कम करने का प्रयास किया गया है ! लेक़िन नेताओं के इन दाँव पेंचों से सपा को सीधा लाभ मिल रहा है। यदि अभी भी प्रदेश नेतृत्व नहीं चेता तो 2024 मिशन भाजपा के लिए चुनौती भरा हो जाएगा।

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