दैनिक भास्कर ब्यूरो
बरेली। निकाय चुनाव निपटने के बाद भाजपा के अंदर संगठन में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के पदभार संभालने के बाद पार्टी तुरंत निकाय चुनाव में उतर गई। पार्टी ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा और नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी के नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन किया। मगर, अब भाजपा प्रदेश हाईकमान संगठन में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काबिज ढीले पदाधिकारियों से किनारा करने के मूड़ में हैं। इनकी जगह पर जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के अलावा अन्य पदों पर युवा और तेज तर्राज नेताओं को जगह देने की कवायद शुरू कर दी गई है। आने वाले दिनों में भाजपा के अंदर महानगर अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष बदला जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा संगठन के अंदर होने वाला यह फेरबदल बेहद अहम होगा, जिसका सीधा असर चुनाव में दिखेगा।
दोनों महत्वपूर्ण पदों के लिए पार्टी में एक दर्जन से अधिक दावेदार
निकाय चुनाव से पहले भाजपा हाईकमान ने 28 साल से विभिन्न पदों पर कार्य करने वाले अनुभवी नेता दुर्विजय सिंह शाक्य को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाकर तगड़ा दांव खेला था। उसका नतीजा यह निकला कि भाजपा बरेली समेत ब्रज क्षेत्र में महापौर की सभी छह सीटें जीत गई। इतना ही नहीं, भाजपा ने नगरपालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पदों पर परचम लहराया। निकाय चुनाव के तुरंत बाद भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी। ब्रज क्षेत्र अध्यक्ष बनने के बाद अभी नई क्षेत्रीय कार्यकारिणी का गठन होना बाकी है। मगर, उससे पहले भाजपा के महानगर और जिलाध्यक्ष पदों पर फेरबदल होना तय है।
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा हाईकमान संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के मूड में
भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष पवन शर्मा और महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अरोड़ा का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। दोनों महत्वपूर्ण पदों पर नए चेहरों को बिठाना हाईकमान की प्राथमिकता में हैं। सूत्रों के अनुसार जिलाध्यक्ष पद पर इस बार भाजपा ब्राम्हण के अलावा किसी गैर ब्राम्हण चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। यह चेहरा सवर्णों में क्षत्रिय के अलावा पिछड़े या दलित वर्ग से भी हो सकता है। अगर भाजपा ब्राम्हण चेहरे को जिलाध्यक्ष बनाती है तो भी पवन शर्मा को छोड़कर दूसरे चेहरे सामने आ सकते हैं। क्षत्रिय समाज से जिलाध्यक्ष पद के दो प्रबल दावेदार हैं। दोनों ही ट्रस्ट के नजदीक हैं।
इनके अलावा पीलीभीत बाईपास रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले पिछड़े वर्ग के नेता पर भी संगठन की नजरें टिकी हैं। लंबे समय से संगठन में काम करने की वजह से इनका नंबर जिलाध्यक्ष पद पर लग सकता है। वहीं महानगर अध्यक्ष पद पर भाजपा डॉ. केएम अरोड़ की जगह सिंधी-पंजाबी समाज से ही किसी दूसरे व्यक्ति के सिर पर ताज सज सकता है। इसकी वजह यह मानी जा रही है कि पंजाबी-सिंधी समाज के कुछ नेता महापौर टिकट के प्रबल दावेदार थे। मगर, डॉ. उमेश गौतम के सामने किसी की नहीं चली। इसलिए, इस समाज के किसी व्यक्ति को संगठन में समायोजित करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि लोकसभा चुनाव की दृष्टि से पार्टी हाईकमान किसी ऐसे व्यक्ति को महानगर अध्यक्ष बनाना चाहता है, जिसके पास संगठन का व्यापक अनुभव हो। इनमें वैश्य बिरादरी से एक नाम महानगर अध्यक्ष पद के लिए मजबूती से चल रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर सब कुछ पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक चला तो आगामी 10 से 15 दिन में भाजपा को नया महानगर अध्यक्ष मिल जाएगा। हालांकि जिलाध्यक्ष के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ सकता है।
रविंदर सिंह राठौर के कार्यकाल में चरम पर पहुंची भाजपा
भाजपा में यूं तो जिलाध्यक्षों का लंबा इतिहास रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद संतोष गंगवार, पूर्व सांसद राजवीर सिंह, पूर्व महापौर एवं भोजीपुरा विधायक कुंवर सुभाष पटेल, वर्तमान एमएलसी कुंवर महाराज सिंह, वरिष्ठ नेता पूरनलाल लोधी और राजकुमार शर्मा जैसे लोग भाजपा में बरेली केजिलाध्यक्ष रहे हैं। मगर, भाजपा चरम पर पहुंची तत्कालीन जिलाध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर के कार्यकाल में। वर्ष 2016 से 2020 तक रविंद्र सिंह राठौर ने भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में काम किया। तब लोकसभा समेत सभी नौ विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, सहकारी बैंक चेयरमैन समेत सभी महत्वपूर्ण पद भाजपा के पास थे। हालांकि इनसे पहले राजकुमार शर्मा के कार्यकाल में भी भाजपा की मजबूती मिलनी शुरू हो गई थी। पवन शर्मा के कार्यकाल में भाजपा ने वर्ष 2022 का चुनाव लड़ा। उसमें दो विधायक भाजपा के कम हो गए। वर्तमान में भाजपा के पास नौ में से सात विधानसभा सीटें हैं।
महानगर अध्यक्ष कठेरिया का कार्यकाल था शानदार
भाजपा महानगर अध्यक्ष डॉ. केएम अरोड़ा का कार्यकाल फिलहाल अच्छा चल रहा है। मगर, इसकी बुनियाद डाली उमेश कठेरिया ने। भाजपा ने उमेश कठेरिया को वर्ष 2016 से 2019 तक महानगर अध्यक्ष बनाए रखा। उनके कार्यकाल में भाजपा ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। उमेश कठेरिया के कार्यकाल में भाजपा ने शहर और कैंट विधानसभा की सीट जीतने के अलावा महापौर की सीट पर भी पहली बार कब्जा जमाया। हालांकि उमेश कठेरिया से पहले पुष्पेंद्र शर्मा, सुधीर जैन, केवल कृष्ण, राजन सक्सेना समेत तमाम नेता भाजपा के महानगर अध्यक्ष बने। उन्होंने भी अपनी तरफ से भाजपा की मजबूती के लिए पूरी मेहनत की। मगर, प्रदेश में भाजपा की सरकार न होने से यह सब महानगर अध्यक्ष के रूप में बहुत ज्यादा चमक नहीं पाए। देश और प्रदेश में दूसरे दलों की सरकारें होने से भाजपा के ज्यादातर महानगर अध्यक्षों को लंबा संघर्ष करना पड़ा।