ड्रैगन फ्रूट की खेती में बढ़िया मुनाफ़ा होता है। फिर भी बहुत कम किसान ही ड्रैगन फ्रूट की पैदावार करते हैं। ड्रैगन फ्रूट को कम सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है। पशुओं द्वारा चरे जाने और फसल में कीड़े लगने का जोख़िम भी ड्रैगन फ्रूट की खेती में नहीं है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming): ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) का सम्बन्ध कैक्टस प्रजाति से है। इसे मेक्सिको और मध्य एशिया में खूब खाया जाता है। इसका स्वाद काफ़ी हद तक तरबूज की तरह मीठा होता है। ये देखने में बहुत आकर्षक होते हैं। भारत में इसे ‘पिताया’ और ‘कमलम’ के नाम से भी जाना जाता है। हल्का लाल या गुलाबी रंग के इस फल पर बाहर से ‘स्पाइक्स’ निकलते हैं होते हैं, लेकिन भीतर सफ़ेद गूदा होता है। तरबूज की तरह इसके बीजों का रंग भी काला होता है। ये स्वास्थ्य के लिए इतने उपयोगी हैं कि इन्हें ‘सुपरफ्रूट’ माना जाता है।
कैसे करें ड्रैगन फ्रूट की खेती?
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए इसके बीज का अच्छे किस्म का होना ज़रूरी है। इसका पौधा यदि ग्राफ़्टिंग तकनीक से विकसित हुआ हो तो ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंकि इसे परिपक्व होकर फल देने में कम वक़्त लगता है। इसे मार्च से जुलाई के बीच कभी भी बोया जा सकता है। पौधे लगाने के बाद क़रीब एक साल में ड्रैगन फ्रूट का पेड़ तैयार हो जाता है और जुलाई से अक्टूबर तक फल देता है।
ड्रैगन फ्रूट की जैविक खेती करने से उत्पाद बेहतर होगा। खेत की जुताई के बाद आप ड्रैगन फ्रूट के पौधे को खेत में लगाएं। इसे लगाने से पहले आपको इसके लिए 6 फुट लंबी आरसीसी पोल लगाने होंगे। हर पौधे के बीच कम से कम 6 फ़ीट की दूरी रखनी ज़रूरी है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए भूमि और जलवायु
ड्रैगन फ्रूट के पेड़ों के लिए किसी ख़ास किस्म की मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती। इसे किसी भी तरह की ज़मीन पर उगा सकते हैं। फिर भी दोमट, रेतिली दोमट मिट्टी से लेकर बलुवाई मिट्टी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। तेज़ी से जल निकासी वाली ढालदार ज़मीन पर भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा सकती है। इसके पेड़ को ढंग से फलने-फूलने के लिए तापमान को 10 से कम और 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए। ड्रैगन फ्रूट को नियमित कल्टीवेशन और ट्रीटमेंट की ज़रूरत होती है।
ड्रैगन फ्रूट की सिंचाई
कैक्टस प्रजाति का होने की वजह से ड्रैगन फ्रूट को कम पानी की ही ज़रूरत पड़ती है। ड्रिप इरीगेशन विधि से तो पानी और कम लगता है। इसके चरने या कीड़े लगने का जोख़िम भी नहीं रहता।
ड्रैगन फ्रूट की शुरुआती लागत
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान गया प्रसाद बताते हैं कि एक एकड़ में करीब ढाई से तीन लाख की शुरुआती लागत आती है। बाद में सिर्फ़ सामान्य देखरेख पर खर्च होता है। जबकि इससे 25 साल तक ड्रैगन फ्रूट की पैदावार मिल सकती है। इसकी खेती से प्रति एकड़ 10 टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन होता है। इससे 6 से 7 लाख रुपये की कमाई हो जाती है।
बेहद गुणकारी है ड्रैगन फ्रूट
इम्युनिटी बढ़ाने, कॉलेस्ट्रॉल घटाने, हीमोग्लोबिन बढ़ाने, हृदय रोगियों के लिए, स्वस्थ बालों और त्वचा के लिए, वजन घटाने के लिए, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों के मामलों में ड्रैगन फ्रूट को बहुत फ़ायदेमन्द बताया जाता है। इतने सारे गुणों की वजह से इसे ‘सुपरफ्रूट’ भी कहा जाता है। ये देखने में आकर्षक होते हैं।विटमिन-सी, आयरन, फाइबर्स और ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स और फाइबर्स से भी भरपूर ड्रैगन फ्रूट में बीटा कैरोटीन और लायकोपीन भी पाया जाता है। कैरोटिनॉइड रिच फूड लेने से भी कैंसर और हृदय रोगों का ख़तरा कम होता है। जिन लोगों को साबूत अनाजों से बना भोजन रुचिकर नहीं लगता उनके लिए भी ड्रैगन फ्रूट बेजोड़ है, क्योंकि ये फाइबर्स से भी भरपूर होते हैं। इन्हें गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज़ों के लिए बहुत गुणकारी बताया जाता है। ड्रैगन फ्रूट हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम मज़बूत बनाते हैं और हाज़मा सही रखते हैं।