सुप्रीम कोर्ट में चल रही अयोध्या मामले की सुनवाई के आखिरी दिन सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मुकदमा वापस लेने के हलफनामे के बाद रामनगरी में संतों-धर्माचार्यों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस मामले को लेकर बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार ने श्री राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य पूर्व सांसद डॉ रामविलास दास वेदांती से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सुनवाई के आखिरी दिन सुन्नी वक्फ बोर्ड के इस निर्णय का क्या मतलब है, यह एक षड्यंत्र है।
एक बार फिर से इस मुकदमे को लंबा खींचने का प्रयास किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के पक्ष में आने वाला है, इसीलिए सुन्नी वक्फ बोर्ड अब एक नया प्रयास कर रहा है। अगर उन्हें मुकदमा वापस लेना है, तो बिना किसी शर्त के वह इस मुकदमे से अपना नाम वापस ले लें। अयोध्या के नाम पर हम मथुरा और काशी में कोई समझौता नहीं करने वाले हैं। अयोध्या में सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक कील ठोकने के लिए भी जगह नहीं देंगे। अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर की शर्त पर हम तैयार हैं। बाकी काशी और मथुरा पर कोई बात नहीं होगी, मुकदमा रामलला का है। इसलिए बात सिर्फ अयोध्या पर होगी और कोई भी शर्त नहीं होगी।
श्री राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अगर दावा ही वापस लेना था, तो पहले क्यों नहीं लिया गया। जब सुलह समझौते की बात चल रही थी। उस समय भी प्रयास किया गया था, कि आपसी सौहार्द बनाए रखते हुए उस भूमि पर रामलला का अधिकार स्वीकार करते हुए मुस्लिम पक्ष अपना दावा वापस ले ले। लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया था। आखिर आज यह हलफनामा देने से क्या फर्क पड़ने वाला है। फिर भी अगर उन्हें लगता है कि मुकदमा वापस लेना चाहिए तो यह अच्छी बात है तो हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन इसके बदले में किसी समझौते की बात नहीं होनी चाहिए। यह सभी को पता है कि गवाहों और सबूतों के आधार पर अब फैसला रामलला के पक्ष में ही होने वाला है। ऐसे में इस मुकदमे पर हर हाल में निर्णय आना चाहिये।
विश्व हिन्दु परिषद (विहिप) केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य सद्गुरु सदन गोलाघाट के महंत सिया किशोरी शरण ने कहा कि हम हर हाल में रामलला का मुकदमा जीतेगे। हमे किसी के शर्त की आवश्यकता नहीं है। अब वह समय आ गया है, जब रामजन्मभूमि पर रामलला का भव्य मंदिर बनेगा।