
दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । बहुआ ब्लाक मुख्यालय के दफ्तर में साहब के साथ साथ बाबुओं के गायब रहने से बहुआ ब्लाक के विकास की रफ्तार धीमी पड़ गयी है। ब्लाक मुख्यालय आने वाले ग्रामीणों को दर दर भटकना पड़ता है और बिना काम हुए ही बैरंग वापस लौटना पड़ता है। ब्लाक मुख्यालय के दफ्तर में प्रतिदिन साहब से लेकर बाबू तक ज्यादातर जिम्मेदार नदारद रहते हैं। उनके आने जाने का कोई समय निश्चित नही रहता है जिससे ग्राम पंचायतों से आने वाले फरियादियों और ग्रामीणों को बिना काम कराए ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है। बता दें कि बहुआ ब्लाक में 59 ग्राम पंचायतें हैं जहां से प्रतिदिन सैकड़ो ग्रामीणों का ब्लाक मुख्यालय में पेंशन, आवास, परिवार रजिस्टर, हैण्डपम्प, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र समेत तमाम प्रकार की समस्याओं और शिकायत संबंधी किसी न किसी काम से आना लगा रहता है लेकिन जिम्मेदारो के दफ्तर में नही बैठने से लोगो को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और बिना काम के ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है।
खाली पड़ी कुर्सियां, भटकते रहते ग्रामीण
बुधवार को बहुआ ब्लाक के दफ्तर में बीडीओ समेत कई बाबू और कर्मचारी अपनी कुर्सियों में बैठे नही मिले। वहीं बहुआ ब्लाक मुख्यालय के अन्य दफ्तरो की पड़ताल की गई तो अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी (एपीओ) महेंद्र कुमार की कुर्सी खाली मिली, पता लगा वह आये ही नही हैं। सहायक (मनरेगा) वैभव गुप्ता अपने कार्यालय से गायब थे वह बाहर ब्लाक मुख्यालय के कैंपस में घूमते नजर आए। लेखाकार (आंकिक) फुरकान अहमद की कुर्सी खाली मिली। सहायक विकास अधिकारी नीरज कुमार अपने कक्ष से नदारद रहे। पता करने पर कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि आये हैं पर मौके से नदारद मिले। खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) अशोक कुमार सिंह कक्ष में नही मिले। जानकारी पर पता चला कि वह शहर में मीटिंग में व्यस्त हैं। वही उनके कार्यालय के दरवाजे के बगल में एक कुत्ता बैठे हुए रखवाली करते मिला। जबकि करीब 6 माह से वरिष्ठ सहायक और कनिष्ठ सहायक के पद खाली पड़े हुए हैं। इनके नही बैठने से मुख्यालय के तमाम काम प्रभावित हो रहे हैं।
बहुआ ब्लाक मुख्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का आलम यह है कि इनके दफ्तर में न बैठने और समय से न आने पर ग्राम पंचायतों से आने वाले लोगो को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और बिना काम हुए ही बैरंग वापस लौटना पड़ता है। ग्रामीणों राजकुमार, सूरजपाल, ननका, बादल, संतोष कुमार, सतेंद्र लोधी, राम आसरे, संकठा आदि लोगो ने बताया कि वह कई दिनों से बहुआ ब्लाक के चक्कर काट रहे हैं। यहां न तो अधिकारी मिलते हैं और न ही कोई कर्मचारियों का पता है। बिना काम के ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है।