सीतापुर : अधिक मास में पूजा-पाठ करने से मिलता है चार गुना फल

सीतापुर। भगवान विष्णु को परमप्रिय अधिकमास आज से शुरू हो गया। इस मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर तीन साल पर अधिकमास यानी मलमास आता है। सावन मास में अधिकमास का संयोग इस बार 19 वर्ष बाद मिल रहा है। इस बार मलमास की अवधि 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगी। मान्यता है कि इस माह में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ मिलता है।

इस अवधि के दौरान नैमिष तीर्थ में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि प्रांतों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु श्रीमदभागवत कथा, राम कथा, शिव पुराण आदि धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करने के लिए आ रहे हैं। मलमास के दौरान तीर्थ स्थित मंदिरों, आश्रमों, होटल व गेस्ट हाउस में भक्तों द्वारा अखंड हरिनाम कीर्तन, विष्णु सहस्रनाम पाठ, सत्यनारायण कथा, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक आदि धार्मिक अनुष्ठानों का दौर चलता रहेगा। कोविड काल के बाद छुट-पुट भीड़भाड़ वाले अवसरों के बाद तीर्थ के लिए ये पहला अवसर है जब पूरे माह तीर्थ में अन्य प्रदेशों के श्रद्धालुओं, पर्यटकों की धूम रहेगी। जिससे तीर्थ अरसे से रुका हुआ आर्थिक चक्र फिर से चल पड़ेगा। जिसका लाभ तीर्थ क्षेत्र से जुड़े हुए सभी व्यवसायों को मिलने की उम्मीद है।

आज से प्रारंभ हुआ अधि मास, 16 अगस्त तक रहेगी धार्मिक अनुष्ठानों की धूम

ये है अधिक मास की मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि वर्ष के सभी 12 माह किसी न किसी देवता को समर्पित होते हैं पर अधिकमास के मलिन होने के कारण कोई भी देवता इस मास का स्वामी नहीं बनना चाहता था। ऐसे में भगवान श्रीहरि विष्णु ने स्वयं इस मास का देव बनना स्वीकार किया। साथ ही अपना नाम पुरुषोत्तम भी इस मास को प्रदान किया। मान्यता है कि अधिक मास में की गई पूजा-पाठ, यज्ञ, वृत, उपवास अन्य महीनों की अपेक्षा 10 गुना अधिक फलदायी होते है। इस वर्ष चतुर्मास भी 4 मास की बजाय 5 मास का होगा। इस वर्ष चतुर्मास 29 जून से 23 नवम्बर तक रहेगा।

इस माह नही होगें मांगलिक कार्यक्रम

अधिकमास यानी मलमास में विवाह जैसे मांगलिक कार्यों निषिद्ध माने जाते हैं। साथ ही इस दौरान नया व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जाता है। इस मास में कर्णवेधन, मुंडन आदि कार्य भी वर्जित माने जाते हैं। मान्यता है कि सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच के अंतराल को मलमास संतुलित करता है। ऐसे में गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे।

19 वर्ष पूर्व मिला था ऐसा संयोग

आज से 19 साल पहले 2004 में भी ऐसा ही संयोग बना था उस समय अधिकमास 18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त को पूर्ण हुआ था। सावन में अधिकमास होने के कारण जुलाई के सभी त्योहारों में 15-20 दिन की देरी होगी। जैसे सामान्यतः हर वर्ष 10 से 15 जुलाई के बीच मनाया जाने वाला रक्षाबंधन पर्व इस बार 31 अगस्त को मनाया जाएगा। वहीं इस वर्ष गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दहशरा और दिवाली भी हर वर्ष की अपेक्षा देरी से पड़ रही है।

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