धनतेरस पर शुक्रवार को बाजार गुलजार रहा। झमाझम लक्ष्मी की बारिश हुई। तकरीबन एक अरब से अधिक के कारोबार का अनुमान लगाया जा रहा है। सुबह से लेकर देर रात तक सराफा व बर्तन बाजार में लोगों की भीड़ जुटी रही। विभिन्न बैंकों व डाकघर में लोगों ने अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार सोने व चांदी के सिक्के खरीदे। वाहन बाजार में सुबह से लोगों की भीड़ लगी रही। विभिन्न बैंकों व डाकखाने से भी सोने व चांदी के सिक्के खरीदे गए। दूसरी तरफ धनतेरस को लेकर बहुतायत बाजारों में जाम की स्थिति रही।
गुरुवार को सुबह से ही बर्तन व इलेक्ट्रानिक की दुकानें सजना शुरू हो गईं। शुक्रवार की सुबह से बर्तन, इलेक्ट्रानिक आइटम, आभूषण, वाहन आदि सामान की खरीदारी शुरू हो गई। यह प्रक्रिया देर रात तक चली। सराफा बाजार पुरानी कोतवाली पर आकर्षक रूप से दुकानें सजी रहीं। धनतेरस पर चांदी की तस्तरी, चांदी के गिलास, सोने की माला, अंगूठी, सोने व चांदी के सिक्के विभिन्न-विभिन्न रेट में सजाए गए थे। लोग अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार खरीदारी की। मध्यम वर्ग के लोग ने बर्तन खरीदा तो उच्च वर्ग के लोगों ने सोने व चांदी के जेवरात खरीदकर धनतेरस की रस्म पूरी की। गरीब तबके के लोगों ने चम्मच व गिलास से ही काम चला लिया। बर्तन व्यवसायी अतुल मित्तल ने बताया कि दीपावली की बाजार इस साल अच्छा रहा है। करीब चार करोड़ का कारोबार रहा। उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के संत प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि इस साल लोग अपनी परंपरा के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं। लोगों को अपनी संस्कृति व त्योहार का अहसास हो रहा है। संस्कार के आशुतोष रूंगटा ने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार बेहतर खरीदारी हुई है। लोग अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार बाजार में जमे रहें। इसी प्रकार लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं भी चौक पर सज गई हैं। फूलों का बाजार भी गरम रहा। गणेश लक्ष्मी की मूर्ति के अलावा दीयों का बाजार भी गर्म रहा। कपड़े के अलावा इलेक्ट्रानिक दुकानों पर भी ग्राहकों की खासी जुटान रही। कुछ व्यापारी बिक्री को लेकर संतुष्ट दिखे तो वहीं कुछ निराश भी। निराश लोगों का कहना था कि मंदी की वजह से बाजार ठीक ढंग से नहीं चढ़ा।