नई दिल्ली (ईएमएस)। ताजा अध्ययन में पहली बार उम्र ढलने की गति और सिगरेट पीने के संबंध पर शोध किया और पाया गया है कि सिगरेट पीने से इंसान की उम्र ढलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सिगरेट पीने का सफेद रक्त कोशिका में मौजूद ल्यूकोसाइट टेलीमियर की लंबाई कम होने से बहुत ही गहरा संबंध है। पाया गया है कि ज्यादा सिगरेट पीने से टेलीमियर की लंबाई कम हो जाती है जो उम्र घटने का कारण होता है।
यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में यह अध्ययन मिलान में हैंगझोऊ नॉर्मल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ क्लीनिकल मेडिसिन की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सियू दाई ने प्रस्तुत किया था जो प्रस्तुत किथा जिसमें अध्ययन ने दर्शाया है कि धूम्रपान, सिगरेट की मात्रा ल्यूकोसाइट टेलोमियर की लंबाई कम करते हैं जो कि ऊतकों में सुधार, उनके पुनर्निर्माण और उम्र ढलने की प्रक्रिया के संकेतक है। दूसरे शब्दों में धूम्रपान उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर देता है।
इस खुलासे को समझने के लिए टेलोमियर की कार्य को समझना जरूरी है। वे जूते के लेस में प्लास्टिक या धातु के उस सिरे की तरह होते है जो उन्हें शीर्ष से खराब होने से बचाते हैं।
डीएनए में टेलीमियर क्रोमोजोम्स के अंत या सिरे की सुरक्षा के लिए होते हैं। लेकिन कोशिकाओं के हर विभाजन के साथ ही वे थोड़े से छोटे हो जाते हैं। इससे कोशिका के विभाजित होने की क्षमता में कमी आ जाती है। उनके बहुत ही छोटे हो जाने पर कोशिका मर जाती है जो कि उम्र ढलने की प्रक्रिया का हिस्सा है। पहले भी माना जाता रहा है कि श्वेत रक्त कोशिकाओं या फिर ल्यूकोसाइट में टेलोमियर का धूम्रपान से कुछ संबंध है। लेकिन वर्तमान अध्ययन पहला ऐसा शोध है जिसमें धूम्रपान, सिगरेट पीने की मात्रा और टेलोमियर के घटने के बीच संबंध की पड़ताल हुई है।, इसके लिए डॉ दाई और उनकी साथी डॉ फेन चेन ने यूके बायोबैंक के सेहत और अनुवांशिकी संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक के 472174 प्रतिभागियों के आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित किया।
शोधकर्ताओं ने मेंडलियन रैंडमाइजेशन पद्धति का उपयोग किया जिसमें धूम्रपान जैसे कारक और ल्यूकोसाइट टेलीमियर के छोटे होने जैसी सेहत की स्थिति के बीच संबंध के कारण पता करने के लिए सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म या अनुवांशिकी विविधता में बदलाव की जानकारी हासिल करने का प्रयास किया। इससे अन्य कारकों की वजह से नतीजों में बदलाव देखने को नहीं मिलता और स्थिति साफ पता चलती है। डॉ दाई ने पाया कि हाल के कुछ सालों में ल्यूकोसाइट टेलोमियर का लंबाई के छोटे होने को हृदवाहिका संबंधी रोगों, मधुमेह और मांसपेशियों की हानि जैसी बीमारियों से संबंध पाया गया है। यह भी धूम्रपान का टेलोमियर क लंबाई पर असर इन रोगों को भी प्रभावित करता है और इसकी प्रणाली कोसमझने के लिए और सोध की जरूरत है। अब शोधकर्ता अप्रत्यक्ष धूम्रपान के प्रभाव, खास तौर पर बच्चों पर, के टेलीमियर लंबाई के संबंध पर गहराई से अध्ययन करेंगे।
शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान का सांख्यिकीय तौर पर कम लंबाई के ल्यूकोसाइट टेलोमियर से अहम संबंध है। जबकि जो पहले धूम्रपान करते थे या जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया उनमें इस तरह से कम लंबाई के ल्यूकोसाइट टेलोमियर नहीं दिखे। वहीं जो लोग पहले धूम्रपान किया करते थे। उनके मामले में इस तरह के संबंध नहीं देखा गया। वहीं जो लोग ज्यादा मात्रा में सिगरेट पीते थे। उनके टेलोमियर की लंबाई में काफी कमी देखने को मिली।