भोपाल/जबलुपर/इंदौर (ईएमएस)। मप्र विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बुधवार को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया गया है। प्रदेश में कुल 5 करोड़ 61 लाख 36 हजार 229 वोटर हैं। ये प्रदेश की नई सरकार चुनेंगे। अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ की आचार संहिता का काउंटडाउन शुरू हो गया है। संभवत: इसी सप्ताह चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी और आचार संहिता लग जाएगी। आचार संहिता लगने से पहले गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर में तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी धार जिले के मोहनखेड़ा से चुनावी शंखनाद करेंगी।
– आज जबलपुर में पीएम का चुनावी उद्घोष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुरूवार को ही जबलपुर दौरा है। पीएम मोदीजबलपुर में रानी दुर्गावती स्मारक और लोक का भूमि पूजन, जबलपुर संभाग की जल जीवन मिशन की परियोजनाओं का भूमि पूजन और लोकार्पण करेंगे। उसके बाद चुनाव तारीख की घोषणा हो सकती है। तारीख का ऐलान होते ही आचार संहिता लग जाएगी। अगर प्रधानमंत्री के करीब पांच माह की चुनावी सक्रियता को देखा जाए तो यह तस्वीर दिखती है की पीएम के राडार पर मप्र रहा है। अभी तक उन्होंने प्रदेश में 9 दौरे किए हैं। दसवां दौरा जबलपुर में होने वाला है। मप्र सहित राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता में मध्य प्रदेश है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल से अब तक प्रधानमंत्री की आठ जनसभाएं प्रदेश के अलग-अलग जिलों में हो चुकी हैं। किसी अन्य राज्य में उन्होंने इतनी सभाएं नहीं की हैं। नौवीं जनसभा जबलपुर में पांच अक्टूबर को प्रस्तावित है।
नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश का सबसे ज्यादा दौरा करने वाले प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। चुनावी साल में वह आठ बार आ चुके हैं। अब 5 अक्टूबर को जबलपुर पहुंचेंगे, जहां वीरांगना रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती समारोह में शिरकत करेंगे। उनके आगमन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी बीते दस साल में के कार्यकाल में 34 बार एमपी आ चुके हैं। जबलपुर का दौरा कई मायनों में बेहद अहम माना जा रहा हैं। शहडोल प्रवास के दौरान उन्होंने रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती धूमधाम के साथ मनाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही मप्र विधानसभा चुनाव के मोड पर हैं। गोंड आदिवासियों के प्रेरणा स्त्रोत क्रांतिकारी, अमर शहीदों को याद कर भाजपा अपने वादे भी पूरी कर रही हैं। इस बहाने दिग्गज आदिवासी वोट बैंक को पार्टी के पक्ष में साधने की जुगत में ताकत झोंक रहे हैं। 5 अक्टूबर को पीएम मोदी जबलपुर की कैंट विधानसभा में स्थित सेना के गैरिसन ग्राउंड में एक विशाल आमसभा करेंगे। इसके साथ पश्चिम विधानसभा में स्थित मदन महल की पहाडिय़ों पर 100 करोड़ रुपयों की लागत से बनने वाले रानी दुर्गावती स्मारक निर्माण का शिलान्यास करेंगे।
मिशन 23 और 24 साथ-साथ
दरअसल, प्रधानमंत्री के दौरे और जनसभाओं को विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी से भी जोडक़र देखा जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कुल 29 सीटों में से अकेले छिंदवाड़ा में कांग्रेस जीती थी। बाकी भाजपा के कब्जे में आई थीं। पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी प्रदेश में खूब ध्यान है। गौरतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। भाजपा यहां सत्ता परिवर्तन के लिए पूरी ताकत से जुटी है। यहां प्रधानमंत्री जनवरी से अब तक सात बार पहुंचे हैं। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में उनकी सिर्फ तीन सभाएं हुई हैं। कर्नाटक में चुनाव होने की वजह से उन्होंने जनवरी से मई के बीच 13 सभाएं कीं, पर मध्य प्रदेश में चुनाव की घोषणा के पहले ही उनकी नौ जनसभाएं हो जाएंगी।
चुनावी वर्ष होने के चलते प्रधानमंत्री की जनसभाएं सुनियोजित तरीके से प्रदेश के अलग-अलग अंचलों में हुईं। इन सभाओं के माध्यम से हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई। आदिवासियों में होने वाली सिकल सेल एनीमिया बीमारी के उन्मूलन का अभियान शुरू करने के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश को चुना। इससे आदिवासी वर्ग खुश है। इसी प्रकार संत रविदास मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने एससी वर्ग को खुश करने की कोशिश की। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले कार्यकर्ता महाकुंभ के लिए भोपाल को चुना गया। यहां प्रदेश भर के हर वर्ग के लोग शामिल हुए। अंचल के हिसाब से देखें तो ग्वालियर, महाकोशल, मध्य भारत, विंध्य अंचल में उनकी सभाएं हो चुकी हैं। अभी मालवा-निमाड़ क्षेत्र छूटा है। चुनाव के पहले यहां भी उनकी जनसभाएं होने की उम्मीद है। अन्य राज्यों की बात करें तो केरल, बंगाल, तमिलनाडु, ओडिशा और असम में इस वर्ष उनकी एक-एक सभा ही हुई है। पीएम मोदी की तेलंगाना में तीन, हरियाणा और महाराष्ट्र में चार-चार सभाएं हुई हैं।
यहां कर चुके हैं आठ दौरे
चुनावी साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक 8 दौरे कर चुके हैं। पीएम ने 11 जून को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भोपाल में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट को संबोधित किया। एक अप्रैल को भोपाल में वंदे भारत ट्रेनों को शुभारंभ किया। 24 अप्रैल को रीवा में पंचायती राज दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए। 27 जून को भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में शामिल हुए। एक जुलाई को शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ किया। 12 अगस्त को सागर में संत रविदास स्मारक स्थल का भूमिपूजन किया। 14 सितंबर को सागर में बीना रिफायनरी में पेट्रोकेमिकल्स परिसर सहित विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया । 25 सितंबर को भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ को संबोधित किया और दो अक्टूबर को ग्वालियर में जनसभा की।
मोहनखेड़ा से 6 जिलों को साधेंगी प्रियंका
शाजापुर जिले में राहुल गांधी की सभा के बाद अब प्रियंका गांधी 5 अक्टूबर को धार जिले के मोहनखेड़ा पहुंचेंगी। यहां जैन तीर्थ में दर्शन के बाद तीन किमी दूर राजगढ़ में ही आदिवासी अंचल के लिए एक सभा को संबोधित करेंगी। साथ ही आदिवासी जननायक टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगी। सभा में 9 जिलों में आने वाली पांच लोकसभा व 41 विधानसभा सीटों के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। हर जिले को ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने का टारगेट दिया गया है।
दरअसल, मोहनखेड़ा को लेकर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यहां गांधी परिवार के कई सदस्य अब तक आ चुके हैं। यहां से चुनाव प्रचार कांग्रेस के लिए शुभ होता है। हालांकि सिर्फ कांग्रेस नेता ही नहीं, बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत भी यहां आ चुके हैं। भाजपा और अन्य संगठनों की कई चिंतन बैठकें भी यहां हो चुकी हैं। स्थानीय कांग्रेसी राधेश्याम मुवेल के मुताबिक 1977 में यहां इंदिरा गांधी आई थीं। तब उनका हेलीकॉप्टर खराब हो गया था। वे इंदौर से सडक़ मार्ग से आई थीं। साल 1विनोद / 04 अक्टूवर, 2023- 2000 में सोनिया गांधी और राहुल आए थे। उस समय देश में यूपीए की सरकार थी और सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे। साल 2013 में राहुल गांधी यहां आए थे। जुलाई 2014 में संघ का चिंतन शिविर लगा था। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, सहित अन्य नेता शामिल हुए थे। 2017 में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य नेता मोहनखेड़ा तीर्थ में पहुंचे थे। 2017 में सेवादल के कार्यक्रम में फिर राहुल आए थे। तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख संत रहे ऋषभ विजय जी से मिलने कई बार नेता गुप्त रूप से भी आते रहे हैं। इन आदिवासी सीटों पर नजर: इस तीर्थ से झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन और रतलाम के अलावा धार जिले की विधानसभा सीटें सीधे कवर हो जाती हैं।
इसलिए महत्वपूर्ण
130 साल से भी ज्यादा पुराने इस तीर्थ से जैन समाज के अलावा आदिवासी समाज भी प्रभावित है। क्योंकि ट्रस्ट ने क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी के लिए बहुत काम किया है। संतों का तो अपना प्रभाव था ही, मंदिर ट्रस्ट से जुड़े अधिकांश सदस्य इस क्षेत्र के व्यापारी हैं। यह वर्ग आदिवासी आरक्षित सीट होने से खुद भले ही चुनाव न लड़ पाए, लेकिन जिसे सपोर्ट करता है, वह नेता बन जाता है। ट्रस्ट स्कूल, अस्पताल, गोशाला व शिविर भी लगाता है।