दैनिक भास्कर ब्यूरो,
फतेहपुर । किसी प्रदेश व जनपद के अंदर प्रवेश करने से पूर्व अक्सर आपको स्वागत सम्बन्धी स्मृति द्वार अवश्य देखने को मिल जाएंगे। यह द्वार अक्सर उस जनपद या शहर के महापुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं ताकि जनपद या शहर में प्रवेश करने वाले राहगीरों को वहां की विभूतियों के बारे में जानकारी मिल सके। यह बड़े स्मृति द्वार अधिकतर जिला पंचायत या नगर पालिका/पंचायतों से ही बनवाये जाते हैं। लेकिन अब इन स्मृति द्वारों का दुरुपयोग अधिक हो रहा है।
ये बड़े बड़े स्मृति द्वार महज नेताओ के प्रमोशन तक सीमित रह गए हैं। अन्य जनपदों में तो फिर भी ठीक है फतेहपुर में तो इन बड़े स्मृति द्वारों में सरकारी रुपयों का दुरुपयोग कर एक जिला बदर गुंडे ( गैंगेस्टर ) का नाम फ़ोटो सहित लगा दिया गया है।
आपको बता दें कि फतेहपुर शहर से महज तीन से चार किलोमीटर दूर बहुआ रोड में ढकौली के समीप एक स्मृति द्वार लाखों की लागत से नगर पालिका परिषद द्वारा लगाया गया था जो स्व. बाबू दीपनारायण सिंह पटेल की स्मृति के नाम पर बना है। इसी में लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी सहित कई जगहों की दूरी, राहगीरों की जानकारी के लिए अंकित की गई है। जिन, स्व. बाबू दीपनारायण सिंह पटेल के नाम पर यह स्मृति द्वार बनाया गया है उनका नाम छोटे अक्षरों से द्वार पर अंकित है जबकि उनका द्वार पर कहीं कोई चित्र नहीं लगाया गया है।
स्मृति द्वार में दो नाम फ़ोटो सहित विशेष तौर पर दिखाए गए हैं देखने पर ये स्पष्ट होता है कि स्मृति द्वार किसी विभूति के परिचय के लिए नहीं बल्कि इन दोनों लोगो के प्रमोशन के लिए लगाया गया है। इनमे एक नाम नजाकत खातून है जो स्वयं तत्कालीन पालिका अध्यक्ष थीं और दूसरा नाम हाजी रज़ा अंकित है। अब विचार करने वाली बात है कि जिस स्मृति द्वार को नगर पालिका ने लगवाया है उसमें अध्यक्ष का प्रमोशन तो ठीक है लेकिन ये हाजी रज़ा कौन है जिसका नाम फ़ोटो सहित किसी विभूति के तौर पर लगाया गया है।
आपको बता दें कि हाजी रजा का नाम सरकारी दस्तावेजों में रज़ा मोहम्मद पुत्र मोबीन है जो इस समय जिला बदर अपराधी है। रजा मोहम्मद के आपराधिक इतिहास की शुरुआत 1992 से हुई, इस समय लगभग दो दर्जन मुकदमो की लंबी लिस्ट है। पूर्व के कुछ वर्षों में सरकार के द्वारा माफियाओ के खिलाफ चले अभियान के जद में रज़ा भी आया। जिसके खिलाफ गैंगस्टर लगा और जिला प्रशासन ने उसकी संपत्ति कुर्क की। जिसके बाद चुनाव से पूर्व गुंडा एक्ट व जिला बदर की कार्रवाई हुई।
नगर पालिका ने प्रत्येक बोर्ड में लिखवाया था अपराधी का नाम –
तत्कालीन चेयरमैन नजाकत खातून का पुत्र होने की वजह से नगर पालिका की ब्यवस्था रजा मोहम्मद के हिसाब से चलती थी। ऐसे में रज़ा मोहम्मद ने नगर पालिका के रुपयों का दुरुपयोग कर शहर के प्रत्येक वार्ड व स्मृति द्वारो में अपना नाम जबरिया लिखवा दिया था, जो पूरी तरह से अवैध है। इसकी खबरें जब दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुईं तो तत्कालीन जिलाधिकारी ने शहर के प्रत्येक बोर्ड में हाजी रजा के नाम पर कालिक पुतवा दी। मगर आज तक नगर पालिका के सरकारी रुपयों के दुरुपयोग पर न हीं कोई कार्रवाई हुई और न ही सम्बन्धित पर एफआईआर वहीं शहर के इस स्मृति द्वार में अपराधी की तस्वीर आज भी लगी है।
संभ्रांत जनो का कहना है कि शहर के प्रवेश द्वार में किसी अपराधी की तस्वीर लगी होना बेहद संवेदनशील विषय है प्रशासन को ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि एक नजीर बने जिससे सरकारी रुपयों का दुरुपयोग करने वालो को सबक मिल सके। इस बाबत उपजिलाधिकारी सदर प्रभाकर त्रिपाठी ने कहा कि प्रकरण की जांच कराई जाएगी। मौके पर टीम भेजकर दिखवाएंगे अगर किसी अपराधी की तस्वीर लगी होगी तो हटाई जाएगी और जांचकर कार्रवाई की जाएगी।
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