नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 30 अक्टूबर को कहा कि पिता की पहचान के लिए होने वाली DNA टेस्टिंग देशभर में लागू नहीं की जा सकती। शीर्ष कोर्ट ने ये भी कहा कि हम पूरा सिस्टम नहीं चला सकते। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से ये भी पूछा कि ये कैसी पिटीशन है? कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने पाया कि याचिका में डीएनए टेस्टिंग को पूरे देश में लागू करने की दरखास्त की गई है, ऐसा करना काफी कठिन है।
कोर्ट ने वैध शादी के दौरान जन्म को वैधता का सबूत बताया
बेंच ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम (इंडियन एविडेंस एक्ट) की धारा 112 का हवाला दिया, जिसके तहत वैध विवाह की निरंतरता के दौरान जन्म बच्चे की वैधता का निर्णायक प्रमाण है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उनका कोई व्यक्तिगत केस है। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका इस मामले (डीएनए से जुड़े हुए) में सात साल पुराना विवाद है।
याचिकाकर्ता के कुछ मुद्दे लंबित हैं- SC
शीर्ष कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के निवेदन को देशभर में लागू करना काफी कठिन है, क्योंकि पिटीशनर के कुछ मुद्दे लंबित हैं।