लखनऊ। राजकीय सेवाओं में अपनी जन्म तिथि वास्तविक जन्मतिथि से 04 वर्ष कम दिखाकर धोखाधड़ी के आरोपी सरकार की नाक नीचे राजधानी लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग में नेत्र परीक्षण अधिकारी सर्वेश पाटिल मंडलीय मोबाइल यूनिट लखनऊ में तैनात थे। उनका स्थानांतरण विगत 30 जून को महानिदेशक, चिकित्सा स्वाथ्य, उत्तर प्रदेश द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सीतापुर के अधीन उच्च न्यायालय के आदेश पर किया गया था। चार माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उक्त कर्मी द्वारा अपनी नवीन तैनाती पर आज तक योगदान नहीं दिया गया है।
प्रेस क्लब में राजकीय आपट्रोमेट्रिस्ट एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सर्वेश पाटिल वर्ष-2019 में अनाधिकृत रूप से बिना बताए लंबी अनुपस्थिति रहा। उच्चाधिकारियों के आदेश की खुली अवहेलना जैसे गंभीर आरोपों एवं शासन के द्वारा कठोर दंडात्मक कार्यवाही के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी, पटल सहायक द्वारा शासकीय आदेश का अनुपालन ना करते हुए तथ्यों को दरकिनार कर जांच प्रक्रिया चलने के बाद भी अपेक्षित स्थानान्तरण को अंजाम देकर जनपद बाराबंकी से लखनऊ स्थानान्तरण में सहयोगी की भूमिका निभाते हुए बलरामपुर चिकित्सालय में संबद्ध कर दिया गया था।
कोरोना काल की समाप्ति के उपरांत तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश द्वारा वर्ष-2022 में संबद्धता समाप्ति के आदेश पर उक्त पाटिल द्वारा संबद्धता के स्थान पर अपनी वास्तविक तैनाती दिखाते हुए उच्च न्यायालय को गुमराह करते हुए झूठा शपथ पत्र दाखिल कर अपने पक्ष में आदेश करा लिए गए थे। उच्च न्यायालय के निर्देश पर गत 30 जून को पाटिल का स्थानान्तरण जनपद लखनऊ से जनपद सीतापुर कर दिया गया था। पाटिल आज तक अपना योगदान स्थानांतरित जनपद सीतापुर में नहीं दिया है।
गजेंद्र सिंह ने बताया कि पाटिल सामान्यतया साल भर बिना बताए अनाधिकृत रूप से अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं, जिसके बारे में उनके नियंत्रक अधिकारियों द्वारा अनेकों बार उनके खिलाफ उच्च अधिकारियों को समय समय पर संज्ञानित कराते हुए यहाँ तक कि शासन से भी 24 जुलाई 2019 को विभाग को कठोर दंडात्मक कार्यवाही के लिए लिखा भी गया परंतु पटल सहायक की मिली भगत के चलते उस पर आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। उक्त कर्मी स्वयं ही नही बल्कि उनकी धर्म पत्नी अमृता प्रीतम, जोकि जनपद बाराबंकी में नेत्र परीक्षण अधिकारी के पद पर ही तैनात हैं व वे भी बिना बताए महीनों ड्यूटी से गायब रहती हैं और जोड़ तोड़ के बल पर राजकोष से मासिक वेतन पेंशन की तरह उठाती रहती हैं।
इतना ही नहीं उक्त कर्मी के भाई विजय प्रताप सिंह, जो जनपद सीतापुर लहरपुर में नेत्र परीक्षण अधिकारी के पद पर तैनात हैं तथा जिनके संबंध में निदेशक स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, उत्तर प्रदेश द्वारा गत 12 अक्टूबर को स्थलीय भ्रमण के दौरान निलंबन के निर्देश दिए गए है, भी अपनी ड्यूटी से सामान्यतया गायब रहते हैं व राजकीय कार्यो के प्रति उदासीन रहते हैं के विरुद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।