अब अमेरिका उबारेगा चीन के कर्ज में डूबे देशों को, जानिए क्या बनाया प्लान…

-छोटे देशों के विकास के लिए बनाया अलग से फंड, देगा 9 लाख करोड़

नई दिल्ली, (ईएमएस)। चीन ने अनेक पड़ोसी छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसा कर उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर कर दी है। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि कर्जदार देश अब चीन को कर्ज का ब्याज भी चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे देशों को कर्ज से उबारने और चीन के मकड़जाल से निकालने के लिए अमेरिका ने कदम आगे बढ़ाया है और उन्हें विकास के लिए 9 लाख करोड़ रुपये देने की बात कही है।


चीन के कर्ज में डूबे देशों में पाकिस्तान, श्रीलंका, केन्या, जांबिया, नेपाल, लाओस, मंगोलिया समेत अनेक छोटे देशों के नाम शामिल हैं। इन देशों ने विदेशी कर्जे का 50 फीसदी से ज्यादा कर्जा सिर्फ चीन से ले रखा है। अब इनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं बची है कि ये चीन के कर्जे का ब्याज भी पूरी तरह से दे सकें। दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति जो वाइडन ने अमेरिका पार्टनरशिप फॉर इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी लीडर्स समिट में इन छोटे कर्ज में डूबे देशों के निर्माण के लिए 9 लाख करोड़ तक की मदद का वादा किया था। इसी बात को लेकर विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका अब पड़ोसी छोटे देशों को चीन के कर्ज वाले मकड़जाल से निकालने की दिशा में काम कर रहा है। इससे जहां चीन के प्रति इन देशों की निर्भरता कम होगी वहीं अमेरिका चीन के लिए आर्थिकतौर पर चुनौती खड़ी करने में भी सफल हो सकेगा। राष्ट्रपति वाइडन का कहना है कि अमेरिका यूएस अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त निगम और इंटर-अमेरिकन डेवलमेंट बैंक की सहायता से अरबों डॉलर की कड़ी के लिए एक नए निवेश वाले प्लेटफॉर्म को तैयार करेगा। यह चीन के कर्ज वाले जाल को काटने में सफल रहेगा, क्योंकि चीन की कर्ज नीति अत्यंत कठिन और क्लिष्ट के साथ ही खतरनाक भी है। इसमें कर्ज माफी जैसा कोई कॉलम नहीं होता है। उनका मानना है कि जब तक चीन कर्ज वसूली मामले में नरम रुख अख्तियार नहीं करेगा, तब तक इन कर्ज में डूबे छोटे देशों में राजनीतिक अस्थिरता का खतरा बना रहेगा।

पड़ोसी पाकिस्तान के हालात हैं बद से बदतर
एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते पांच साल में पाकिस्तान का राष्ट्रीय कर्ज 11.85 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 19.5 लाख करोड़ हो चुका है। अब यही कर्ज आगामी पांच साल में बढ़कर 34 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। गौरतलब है कि चीन से पाकिस्तान करीब ढाई लाख करोड़ का कर्ज ले चुका है। इसी प्रकार अन्य पड़ोसी देशों का भी हाल है और इन सब के लिए अमेरिका की नई योजना ही कारगर साबित होती लगती है।

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