दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
नानपारा/बहराइच l आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह एवं अपर निदेशक प्रसार डॉक्टर आर.आर. सिंह के निर्देशन में कृषि विज्ञान नानपारा द्वारा ग्राम कारीकोट एवं ग्राम मटेही में मसूर की प्रजाति पंत मसूर 9 एवं सरसों की प्रजातियां क्रमशः पूसा सरसों 30 व पूसा सरसों 33 का दलहन एवं तिलहन समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन में चयनित कृषकों किसको को रेंजर संजय सिंह के हाथों किसानों को निशुल्क बीजों का वितरण कराया गया।
कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा के अध्यक्ष वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर शैलेंद्र सिंह द्वारा रवि में उगाई जाने वाली दलहन व तिलहन की विभिन्न प्रजातियो के विषय मे कृषकों को बताते हुए कहा मसूर की उन्नतशील प्रजातियां का चयन कर उनका राइजोबियम कल्चर से बीज शोधन कर समय से बुवाई पंक्तियों मे किया जाना चाहिए जिससे भूमि में बीज एवं उर्वरक की संतुलित मात्रा भूमि में उचित स्थान पर गिरती है दलहनी फसलों में मृदा की जांच के उपरांत इसमें सल्फर युक्त उर्वरकों का का प्रयोग बुवाई के समय अर्थात बेसल मेथड से किया जाना चाहिए।
सरसों की वैज्ञानिक कृषि के विषय में किसानों को अवगत कराया की गुणवत्ता युक्त बीजों का चयन कर उसमें संतुलित पोषक तत्वों की मात्रा का समावेश करते हुए लाइन से बुवाई की जानी चाहिए एवं मुख्य रूप से सल्फर का प्रयोग उसमें अवश्य किया जाना चाहिए सल्फर का प्रयोग तिलहनी फसलों के लिए नितांत आवश्यक है।
फॉरेस्ट रेंजर टी.एस. यादव द्वारा धान की फसल की कटाई के उपरांत फसल अवशेष प्रबंधन के विषय में विशेष रूप से किसानों को जागरूक किया कि धान की फसल की कटाई के उपरांत पराली को खेत में कदापिना जलाया जाए।
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