नई दिल्ली (हि.स.)। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकालने का प्रयास जारी है। हालांकि ड्रिलिंग कर रही ऑगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने के कारण कार्य बाधित हुआ है। फिलहाल, अन्य मोर्चों पर कार्य जारी है। 4 इंच और 6 इंच की जो पाइप श्रमिकों तक जुड़ी है, वह सुरक्षित है, जिसके माध्यम से खाना-पानी, दवा और ऑक्सीजन आदि पहुंचाया जा रहा है।
हसनैन ने शनिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ड्रिलिंग कर रही ऑगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने के कारण कार्य बाधित हुआ है। ऑगर मशीन के माध्यम से अभी तक 47 मीटर तक खुदाई की जा चुकी है लेकिन ड्रिलिंग के दौरान अचानक मशीन क्षतिग्रस्त हो गई थी। मशीन के इस क्षतिग्रस्त हिस्से को निकालने का प्रयास जारी है। इन टुकड़ों को निकालने के बाद पुन: 47 मीटर के आगे की खुदाई मैनुअल तरीके से शुरू की जाएगी।
हसनैन ने कहा कि सुरंग के ऊपरी हिस्से पर मशीनें पहुंचाई गई हैं। आने वाले वाले कुछ घंटों में सुरंग के ऊपरी हिस्से से भी ड्रिलिंग का कार्य शुरू किया जाएगा। सुरंग के ऊपरी हिस्से से श्रमिकों तक पहुंचने के लिए करीबन 86 मीटर तक की ड्रिलिंग करनी पड़ेगी। इस दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है। ऑगर के फंसे मलबे को निकालने के लिए भी प्रयास जारी हैं। हमारी प्राथमिकता है कि सभी श्रमिक सुरक्षित रहें। उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा है। मनोबल बना रहे, इसके लिए परिजनों और रिश्तेदारों से उनकी बात कराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि हसनैन ने बीते दिनों एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सुरंग में उत्तराखंड के 02, हिमाचल प्रदेश के 01, उत्तर प्रदेश के 08, बिहार के 05, पश्चिम बंगाल के 03, असम के 02, ओडिशा के 05 और झारखंड के सबसे अधिक 15 मजदूर फंसे हैं।
सिल्कयारा से बड़कोट के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर को सिल्कयारा की तरफ सुरंग के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी। इसके चलते 41 श्रमिक फंस गए थे। फंसे हुए सभी श्रमिकों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल आवश्यक उपाय किए गए और जरूरी संसाधन जुटाए गए। निर्माण से जुड़े कर्मी जहां पर फंसे हुए हैं उसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, जो निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा है। जगह की पर्याप्तता के चलते बिजली और पानी की आपूर्ति करने में आसानी हुई है और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।