कानपुर : किसान बाबू सिंह सुसाइड केस में झूठे शपथ पत्रों के जरिये पुलिस कसेगी आरोपी पर शिकंजा

दैनिक भास्कर ब्यूरो ,

कानपुर। किसान बाबू सिंह आत्महत्या मामले में पुलिस को चकमा देकर हाईकोर्ट से राहत पाने की कोशिश में जुटे प्रियरंजन दिवाकर को पुलिस कोर्ट में करार जवाब देने की तैयारी में है। मुकदमा दर्ज होने से पहले और बाद में प्रियरजन से फोन पर हुई बातचीत की सीडीआर को हथियार बनाकर चल रही है, पैंतरे में पुलिस सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है। सूत्रों की माने तो पूर्व मे दिये गये हलफनामे जिसमें अस्पताल में भर्ती होना दर्शाया गया है वह प्रियरंजन के लिये मुसीबत बनेगा।

प्रियरंजन के अधिवक्ता का दावा है कि रिपोर्ट दर्ज होने के बाद वह पुलिस के संपर्क में रहा और विवेचना में सहयोग करने व अपना पक्ष रखने के लिए एसीपी कार्यालय भी पहुंचा।साथ ही फोन के माध्यम से भी विवेचक के संपर्क में रहा। इस दौरान न तो उसकी गिरफ्तारी की गई और न ही उसे बताया गया कि वह मुकदमे में वांछित है। इस पर सरकार की ओर से जवाब के लिए समय मांगा गया है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तारीख तय कर दी और तब तक पुलिसिया कार्रवाई पर रोक की अवधि भी बढ़ा दी।

चकेरी निवासी किसान बाबू सिंह ने 9 सितंबर की सुबह रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटकर जान दे दी थी। किसान ने मरने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा था। बाबू की पत्नी ने चकेरी थाने में भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन आशू दिवाकर, बब्लू यादव, राहुल जैन, मधुर पांडे, शिवम सिंह चौहान, जितेंद्र यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

इस मामले में राहुल जैन को पिछले दिनों हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी जबकि आरोपी जितेंद्र यादव को अग्रिम जमानत मिल चुकी है। प्रियंरजन ने हाईकोर्ट में एफआईआर और गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। इसमें पहले हाईकोर्ट ने एक दिन के लिए पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगाई थी। इसके बाद अंतरिम आदेश की अवधि 28 नवंबर तक बढ़ा दी थी। 

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