माले (ईएमएस)। भारत के साथ चल रहे विवाद के बीच मालदीव ने एक और नापाक चाल चल दी है। मालदीव ने भारत के साथ समुद्री सर्वेक्षण के समझौते को खत्म करने के बाद चीन के साथ हाथ मिलाया है। मालदीव और चीन मिलकर अब हिंद महासागर का सर्वेक्षण करने और इसके लिए चीनी सेना का जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 03 आगामी 30 जनवरी को मालदीव की राजधानी माले पहुंच रहा है। इसके पहले श्रीलंका ने चीन के जासूसी जहाजों को अनुमति देने से मना कर दिया था। वहीं मालदीव के भारत विरोधी राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। इस बीच लक्षद्वीप विवाद के ठीक बाद अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी की अंतरराष्ट्रीय विभाग की उप मंत्री सुन हैयान माले पहुंची हैं और मुइज्जू के साथ मुलाकात की है।
माना जा रहा है कि सुन हैयान के इस दौरे के जरिए चीन ने मालदीव को समर्थन और भारत को संदेश देने की कोशिश की है। सुन हैयान का अचानक से यह दौरा तब हुआ है जब अभी कुछ दिन पहले ही मुइज्जू चीन का दौरा करने के बाद लौटे हैं। मुइज्जू ने चीन के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात की थी और कई समझौतों पर हस्ताक्षर किया था। इन समझौतों के डिटेल को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। मालदीव और चीन दोनों ने ही रणनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने पर सहमति जताई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले मालदीव के समुद्री संसाधन मंत्री अहमद शियाम चीनी जासूसी जहाज के पहुंचने की खबर का खंडन किया था। चीन का यह जासूसी शोध जहाज 100 मीटर लंबा है और 4500 टन वजनी है। यह जहाज मिसाइलों को ट्रैक करने के साथ-साथ समुद्र के अंदर छिपे प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने में माहिर है। विश्लेषकों का कहना है कि इस जासूसी जहाज के जरिए चीन सबमरीन के लिए रास्ता तैयार रहा है और आने वाले दौर में चीन की पनडुब्बियां हिंद महासागर में गश्त तेज करेंगी। माना जा रहा है कि चीन मालदीव के साथ मिलकर लक्षद्वीप के पास सर्वे की तैयारी कर रहा है।