पीलीभीत। जनपद में लगातार सड़क निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे अधिशासी अभियंता लोक निर्माण को पीलीभीत से तबादला करते हुए लखनऊ कार्यालय संबद्ध कर दिया गया है। एक दिन पहले ही दियोरिया रोड पर करीब 4 करोड़ रुपए की लागत से बन रही सड़क पर भ्रष्टाचार की खबरें सुर्खियां बनी थी, उसके बाद गुरुवार को तबादला आदेश आने के बाद अधिशासी अभियंता को कार्यालय मुख्यालय पर भेजा गया है।
जिले में लोक निर्माण विभाग के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार होना नई बात नहीं है। इसके लिए अधिशासी अभियंता उदय नारायण लगातार सुर्खियां बटोर रहे थे। गुरुवार को अचानक अधिशासी अभियंता को जिले से हटकर लखनऊ मुख्यालय भेजा गया है। सड़क निर्माण और मरम्मत कार्यों में भ्रष्टाचार के बढ़ते पैमाने के चलते लगातार विभाग की फजीहत हो रही थी और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रही सरकार की छवि को भी धूमिल किया जा रहा था।
विभागीय ठेकेदारों से साठ- गांठ और राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता (सिविल) पर आखिरकार कार्यवाही की गाज गिर गई। ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें बदहाल होने के बावजूद भी विभागीय अधिकारी शासन को गलत रिपोर्ट भेजकर गुमराह करते रहे।चाहे माधोटांडा- पीलीभीत रोड मरम्मत कार्य के नाम पर ओवर एस्टीमेट का मामला हो या फिर गड्ढा मुक्त अभियान के नाम पर कागजी कार्रवाई करने का प्रकरण।
पीडब्ल्यूडी विभाग में लंबे समय से भ्रष्टाचार को पाला जा रहा था। आए दिन निर्माण के दौरान नई सड़कें उखड़ने के वीडियो भी वायरल होते रहे। एक दिन पहले ही दियोरिया – घुंघचाई मार्ग पर हो रहे 4 करोड़ से सड़क निर्माण कार्य में पुराने पत्थरों को डाला जा रहा था। नए रोड में पुराने पत्थर डाले जाने पर विभागीय फजियत हुई और उसके बाद गुरुवार को प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता उदय नारायण पर कार्रवाई की गाज गिरी है।